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Thursday, February 23, 2012

वो बचपन का गुजरा जमाना

कभी कभी 
बहुत याद आता है मुझे 
वो बचपन का गुजरा जमाना  ,
वो भैया से  झगडे 
और दीदी की पुचकार ,
छोटी छोटी बातों मे
रूठना और छुप जाना ,
रो रो कर अपनी हर बात मनवाना ,
पापा का लाड बरसाना
मम्मी का झूठ बोल कर 
खाना खिलाना ,
गुप्ता जी के दूकान से 
चोरी चोरी जा कर 
१० पैसे के गटागट खाना ,
दोस्तों के साथ 
कबड्डी और कित कित खेलना ,
माँ को मना कर दोस्त के घर 
पढने जाना ,
अब तो बस आँखों मे बसे हैं     
वो दिन ,वो पलछिन ,
काश ! कोई लौटा दे
वो बचपन का गुजरा जमाना /



रेवा 


Friday, February 17, 2012

कहाँ चले गए मेरे पापा ?

ये कैसा नियम है 
भगवान का ,
कहाँ ले जाते  है 
वो इन्सान को ?
कहाँ चले गए 
मेरे पापा ?
कितना आवाज़ देती हूँ 
बुलाती हूँ उन्हें 
नहीं जवाब देते ,
पहले तो 
एक आवाज़ मे
सुन लेते थे ,
अब क्या हुआ ?
क्यों रूठ गए मुझसे ,
क्यों नहीं मुझसे पूछते
"बेटा कैसी हो ?
कुछ परेशानी तो नहीं तुम्हे" ,
क्यों नहीं शिकायत करते की ,
" तेरी माँ मुझसे बहुत लडती है ,
मीठा खाने  नहीं देती ",
  मैं किसे बोलूं "पापा "
कहाँ चले गए मेरे पापा ?


रेवा 

Tuesday, February 14, 2012

उदास हंसी

थकन सी महसूस 
हो रही है आज ,
कहीं कुछ टूट 
गया है ?
दिल की दीवारें 
चटक गयी है शायद ,
एहसासों के पंख 
चूर चूर हो गए हैं ,
मन ख़ाली हो 
गया है ,
आँखों की नमी 
रही नहीं अब ,
हंसी भी उदास 
हो गयी है ,
जैसे सब शोक
मना रहे हों 
मेरे अरमानो के 
टूट जाने का ............

रेवा