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Monday, April 30, 2012

मुलाकात

फिर से हो रही है 
तुझसे मिलने की आस ,
न जाने कैसा होगा 
वो एहसास  ,
क्या कुछ बोल पाऊँगी ?
या फिर से कर जायेंगी 
आँखें  अपना काम ,
ख़ामोशी बन जाएगी जुबां
जज्बात  बिन कहे सुने 
होंगे पास ,
घंटे पल मे और पल 
छण मे बीत जाएंगे ,
उस छण को जीने
के लिए चलती हैं साँस  ,
बीत जाते है
दिन और रात  ,
न जाने कब होगी वो
प्यार भरी मुलाकात /

रेवा  



Sunday, April 22, 2012

मेरी रचना को अपने नाम से कॉपी पेस्ट

http://setubaba.blogspot.com/    इस  ब्लॉग  पर  15 sep 2011 को  मेरी  पूरी  रचना 

"मेरा प्यार " जिसे मैंने 5 Nov 2009  को  अपने ब्लॉग पर पोस्ट की थी , http://rewa-mini.blogspot.in/2009/11/blog-post.html

 को कॉपी कर के अपने नाम से पेस्ट कर लिया है /  लोग ऐसा कैसे 

कर सकते हैं ?


रेवा 


Friday, April 13, 2012

क्या इस रिश्ते को नाम देना जरूरी है

कभी कभी सोचती हूँ 
क्या रिश्ता है मेरा तुम्हारा ?
दोस्ती का या प्यार का ?
दोस्ती ऐसी जैसी 
कृष्ण सुदामा की थी ,
या प्यार ऐसा जैसा 
मीरा ने कृष्ण से किया था /
या कोई और रिश्ता ?
क्या हर रिश्ते को नाम देना जरूरी है ?
इतना ही काफी नहीं की
मन मिल गए ,
जब मुझे तुम्हारी जरूरत होती है 
तो हमेशा तुम मेरे पास होते हो ,
समझते हो मुझे ,
समझाते हो मुझे ,
न कुछ गलत करने देते हो 
न होने देते हो ,
और जब तुम्हे मेरी जरूरत होती है 
तो मै तुम्हारे पास ,
जरूरत न भी हो तो 
हम एक दुसरे के साथ ,
बहुत कुछ बाँट लेते हैं ,
हंस लेते है , रो लेते हैं /
क्या इतना काफी नहीं ,
क्या इस रिश्ते को नाम देना जरूरी है ???

रेवा 


Tuesday, April 3, 2012

खुद को कहते इंसान हैं

इंसान कितने दोगले होते हैं
हर बार नवरात्र मे
देवी माँ की पूजा करते हैं
छोटी छोटी कन्याओं को
भोजन कराते हैं
आशीर्वाद लेते हैं ,
फिर उन्हें ही जन्म लेने
से पहले मार डालते हैं ,
उनके साथ बलात्कार
करते हैं ,
ताकि वो जीते जी ही
मरे के सामान हो जाये ,
इतने पर भी पेट नहीं भरता ,
दहेज़ के लिए उन्हें
प्रताड़ित कर ,
जिंदा जला देते हैं /
जानवरों जैसा सुलूक कर ,
खुद को कहते इंसान हैं /


रेवा