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Friday, September 7, 2012

बेचारा दिल

बेचारा दिल 
कभी जलता है , सुलगता है 
कभी ठंडा भी हो जाता है ,

कभी तीर आर पार हो जाता है 
कभी छु कर निकल जाता है ,

कभी बच्चा बन जाता है 
फिर एक ही पल मे जवान भी ,

कभी किसी पर आता है 
कभी किसी पर ,

कभी दिल मानता नहीं 
कभी कुछ जनता नहीं ,

कभी दिल भर आता है 
कभी तर जाता है ,

कभी प्यासा है 
तो कभी तृप्त हो जाता है ,

कभी टूट कर बिखर जाता है 
कभी जुड़ जाता है ,

अरे हाँ आजकल तो ये गार्डेन गार्डेन भी हो जाता है ,

कितने सारे नाम मिले दिल को 
करे क्या बेचारा ,"दिल तो आखिर दिल है" !

रेवा 



16 comments:

  1. अरे हाँ आजकल तो ये गार्डेन गार्डेन भी हो जाता है ,
    और हाँ ,हमेशा गार्डेन गार्डेन ही रहने देना ,जीना आसान हो जाता है :))
    TUM BAHUT PYAARI HO :)

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  2. Hmmm...pata nahee dil kya cheez hai!

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  3. दिल तो बच्चा है जी :)))

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  4. बहुत ही सुन्दर दीदी

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  5. ठीक कहा ... दिल तो आखिर दिल ही है बेचारा ... क्या करे ...

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  6. बहुत ही सुन्दर, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है.

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  7. अरे????????????

    इत्ता सब लिखा और ये तो लिखा नहीं कि धड़कता है दिल !!!!
    :)

    गाता रहे...तेरा दिल...
    सस्नेह
    अनु

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    1. hahahahahaha....sahi kaha apne di....chalo wo kami apne puri kar di....

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  8. aap sabka bahut bahut shukriya......

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  9. बहुत सटीक और सुन्दर विश्लेषण ...दिल तो आखिर दिल है ......आभार

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