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Monday, September 10, 2012

मीठे आँसू

संभाल नहीं पा रही आज अपने दिल को ,
ये मौसम का असर है या तुम्हारे प्यार का
या दोनों का पता नहीं ?
ऐसा पहले तो नहीं होता था
पर आज क्या हो गया ?
हज़ार कोशिशों के बाद भी
मन तुम्हारे पास ही चला जाता है ,
क्युकी मन को सुकून भी शायद
तुम्हारी याद और तुम्हारे एहसास मे मिलता है ,
आँखों ने भी बरस कर खूब साथ दिया तुम्हारा
पर हाँ ये दुःख के आँसु नहीं है  ,
ये तो तुम्हारे प्यार मे पागल हो कर
बहने लगे हैं ,
आज पता चला की आंसुओं का स्वाद
मीठा भी होता है /

रेवा






8 comments:

  1. बहुत खूबसूरत रचना....रेवा जी
    आभार
    हर पन्क्ति में एक अलग ही सच छुपा हुआ है

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  2. Aise meethe aansun sabhee ke naseeb me hon!

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  3. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
    बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार

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  4. होता है न ... कहाँ पका , कैसे पका - इसपर निर्भर करता है

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  5. इस अद्भुत प्रेम को क्या क्याम दू ?

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  6. bahut nazuk se bhav liye huye ye rachna...vasu

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