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Thursday, February 21, 2013

हमारी सार्थकता

कितना अच्छा लगता है न
जब कोई कहता है कि
तुम घर कितना साफ सुथरा
रखती हो ,
बच्चों को तुमने कितने अच्छे
संस्कार दिए हैं ,
तुम कितनी आसानी से
घर का सारा कम कर लेती हो ,
हम खुश हो जाते हैं
इतने खुश
जैसे किसी ने हमे मैडल
दे दिया हो ,
जैसे सार्थक हो गयी हो
हमारी रोज़ की मेहनत ,
पर सवाल यहीं है कि
क्या हमे खुद को साबित
करने की जरूरत है ?

रेवा




8 comments:

  1. दीदी एक नारी एक स्त्री को कुछ सार्थकता सिद्ध करने की कोई जरूरत नहीं पड़ती और जिस दिन ये समाज स्त्री से सार्थकता सिद्ध करने के लिए कहेगा तब इस समाज का वो एक दुर्भाग्य होगा
    एक स्त्री को अपनी सार्थकता सिद्ध करने की जरुरत ही क्या है वो तो खुद एक इस मनुष्य की सार्थकता सिद्ध करनके इस समाज के सामने उसे उठने बैठने कहने जीवन की हर गांठ -जोड़ सिखाती है वो बात अलग है की फिर वही मनुष्य एक ठेकेदार बन जाता है
    मेरी नई रचना

    खुशबू

    प्रेमविरह

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  2. घर की महिलाओं को अपने को साबित करने की जरुरत नही,आपसब की महता जग-जाहिर है,आभार.

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  3. didi ap apna spum check kijiye
    sayad mera comment spum me chala gaya hai

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  4. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  5. स्त्री को तो बस मन के भाव से प्रेम से पूजा से मन की गहराई से तप से , नम्रता से जाना पहचाना जाता है भागवान के बाद इस संसार को जो दिया है वो एक स्त्री ही तो है स्त्री को किसी भी समाज ,मनुष्य , ईश्वर को भी सार्थकता सिद्ध करके दिखने की जरुरत नहीं है जिस मनुष्य को ये पता नहीं की नारी,स्त्री है क्या और उसकी महानता , उदारता प्रेम , ममता क्या है और क्या माइने ये उसके उसको आप सार्थकता सिद्ध कर भी देंगी तब भी कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है
    इस दिन ये समाज अपनी माँ , बेटी , अर्धागिनी , से सार्थकता सिद्ध करने के लिए बोल जायेगा वो दिन इस दुनिया इस भारतवर्ष के लिए कलंक का दिन होगा

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  6. साबित कुछ करने की जरुरत नहीं है .गृहिणी का कर्म ही बोलता है , हम शायद उसके योगदान को शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाते


    latest postअनुभूति : कुम्भ मेला

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  7. बहुत खूब .कर्म ही बोलता है.

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