पहली बार ऐसा हुआ
१० दिन तक देखा तो नहीं तुझे
और आवाज़ भी नहीं सुनी ,
घर मे हर तरफ तेरी
मौजूदगी का एहसास
होता तो है ,
पर मौजूद होना
और बस एहसास होने मे
फरक है न ,
"आंखें हैं नम दिल है उदास
जाने क्यों खोये खोये से हैं हर एहसास ,
जीने को तो जी रहें हैं हम पर
मेरी जान नहीं मेरे पास "
रेवा
समझ रही हूँ
ReplyDeleteकहना बहुत आसान है
सहना उतना ही मुश्किल होगा
धैर्य की ही परीक्षा कर लो
koshish tho chal hi rahi hai didi
ReplyDeleteसुन्दरता से व्यक्त किया आपने ।
ReplyDeleteमेरी नई रचना :- मेरी चाहत
प्रभावित करती भावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति...!
ReplyDeleteनवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!
RECENT POST : अपनी राम कहानी में.
लम्हा-लम्हा जीना क्या और लम्हा-लम्हा मरना क्या
ReplyDeleteसाथ तुम्हारा, साथ हमारे अगर रहे तो कहना क्या
बूंद-बूंद साँसे आती है, बूंद-बूंद एक राह बनी
घुट-घुट कि बात में हमको, कहना क्या न कहना क्या...........
ajayji bahut sundar
Deleteshukriya mayank ji ...abhar
ReplyDeleteविरह भी प्रेम का एक रंग है... प्रेम की परीक्षा कहना ज़्यादा उचित होगा। देखिएगा विरह के बाद प्रेम और भी निखर जायेगा
ReplyDeleteभावो का सुन्दर समायोजन......
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