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Friday, November 22, 2013

माँ



"माँ "

इस शब्द मे कितना प्यार
कितनी ममता छिपी है ,
माँ सुनते ,बोलते ही
मन प्यार से भर उठता है ,
पर हम बेटियों का नसीब देखो
दूर बैठे कभी जब
मन तड़प उठता है
माँ से मिल नहीं पाते ,
उनके गोद मे सर रख कर
उनका स्पर्श मेहसूस कर नहीं पाते ,
पर इस टेक्नोलॉजी के ज़माने ने
इतना तो एहसान किया है की
जब चाहे
उनकी आवाज़ सुन पाते  हैं /

"माँ तुझसे मिलने को मन है अधीर
 कैसे धरु अब धीर
या तो तू आजा , या मुझे  बुला ले
तेरी बेटी व्याकुल हो बहाये नीर "

रेवा






3 comments:

  1. सादर नमन-
    सुन्दर प्रस्तुति आदरेया-

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  2. माँ ... दूर रहकर भी हर पल पास है
    बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने

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  3. कोमल भाव रचना..
    माँ से दूर रहना बहुत मुश्किल है...

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