दिल कि फितरत
जब दिल रोता है तो
लाख कोशिशों के
बावजूद ,
पलकों के शामियाने
को छोड़
आँसू छलक जातें हैं ,
दिल को कितना भी
समझा लो
पर हर बात उसे
नागवार गुजरती है ,
और वो
अपने एहसासो से
भिगोती रहती है
पलकों को ,
"क्युकी खुद को समझाना
हमारी आदत है ,
पर न समझना
दिल कि फितरत है" ।
रेवा
सकारात्मक भावों को बहुत अच्छे से व्यक्त किया है आपने ।
ReplyDeleteसार्थक रचना ।
shukriya sanjay bhai
Delete"क्यूंकि खुद को समझाना हमारी आदत है ,पर न समझना दिल की फितरत है " .....बहुत सुन्दर
ReplyDeleteनई पोस्ट मेरी प्रियतमा आ !
नई पोस्ट मौसम (शीत काल )
बहुत सुंदर........
ReplyDeleteshukriya Rajeev ji
ReplyDeletewelcome to my blog sadhna ji
ReplyDeleteलाजबाब बहना
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
भावो का सुन्दर समायोजन......
ReplyDeleteन समझना दिल की फितरत है.......
ReplyDeleteबहुत सुंदर...
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya
ReplyDeleteवाह बहुत खूब
ReplyDeleteshukriya Anju didi
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