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Saturday, March 15, 2014

दूरी



पता नहीं क्यों
पर इन दिनों
बड़ी शिद्दत से
महसूस हो रहा था की
तूने दूरी बना ली है मुझसे ,

फिर लगा शायद !
प्यार पर
मसरूफ़ियत
हावी हो गया है ,
या तुझे मेरी
अब परवाह ही नहीं ,

जो भी था
मैंने अपने आप को
इस परिस्थिति के
मुताबिक
जीना सिखा लिया था ,

पर कल
जब तेरी आवाज़ सुनी
और उस आवाज़ में
वही कशिश
वही प्यार महसूस किया ,

तो ऐसा लगा जैसे
मेरी रूह को
सुकून मिल गया ,
और मन कि सारी कड़वाहट
बह गयी
आंसूओं के रास्ते।

रेवा 

11 comments:

  1. बहुत उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति...!
    RECENT POST - फिर से होली आई.

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  2. बहुत गहरे ख़याल। जज़्बात को उकेरना इतना आसान भी नही होता और आपने बखूबी लिखा। बहुत सुंदर।

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  3. होली की हार्दिक शुभकामनायें

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  4. Happy holi
    Kavita bahut achchhi lagi

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  5. bahut pyari si kavita Rewa...holi ki shubhkamnaye.

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  6. अच्छा संदेश व समझाइस उनके लिये जिनका मन भ्रमित है।

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  7. बहुत सुन्दर , होली की शुभकामनायें....:)

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  8. बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...

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