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Saturday, March 8, 2014

महिला दिवस




सुबह से आज महिला दिवस कि बधाईं मिल रही है ,
चाहे फेसबुक हो watsaap या gmail ,
एहसास मिश्रित हैं !
इसलिए अपनी बात कहने आ गयी ,

महिला दिवस मनाते हैं हम
पर पुरुष दिवस क्यों नहीं होता
जब हर छेत्र मे पुरुष से समानता
करते हैं ,तो फिर इस छेत्र मे असमानता ?
वैसे देखा जाये तो हर दिन हमारा
ही होता है !
बस ये सोच पर निर्भर करता है ,
अगर हम अपने को पुरुषों
से कमजोर समझेंगे तो
हम वैसा ही महसूस करेंगे ,
ये साबित भी हो चूका है की
हम पुरुषों से ज्यादा सक्ष्म  हैं ,
ज्यादतर महिलायों का शोषण
महिलाएं ही करती हैं
ये भी एक कड़वा सच है ,
हम सबको को आज
ये प्रण लेना चाहिये की
हम महिलायें एक दूसरे के
साथ देंगी हमेशा  ,
चाहे फिर रिश्ता कोई भी हो
"सबसे बड़ा रिश्ता तो यही है की
हम एक ही लिंग के हैं"
और यही रिश्ता सर्वोपरी है।


रेवा

10 comments:

  1. sahi baat ....koi bhi mahila sirf apne swrop se hi mukabla karti hai

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  2. sahi baat purush saksham hoga nari prerna banegi to hi pariwaar me samaj me badlaw hoga

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  3. बहुत सही लिखा है |

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  4. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, आभार।

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  5. बहनें हैं तो सोच भी एक जैसी ही होनी थी ना बहना
    हार्दिक शुभकामनायें

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  6. बिल्कुल सच कहा है...

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  7. बहुत सुंदर और सच कहा जी

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  8. सुन्दर सार्थक रचना ! महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !

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