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Thursday, February 19, 2015

नाम (लघु कथा )


नाम  (लघु कथा )


"निर्मला पानी ला , अरी कितना समय लगाएगी" ,
चिल्लाने लगी निर्मला की मालकिन...... डरी सहमी 9 साल की निर्मला काँपने लगी उस भय से की फिर देर हो गयी तो कल कि तरह मार पड़ेगी ,  जैसे ही वो गयी मालकिन ने सारे दिन का काम बता दिया ........ " देख कपडे धो लिए , फिर बर्तन और हाँ खाना बना कर आयरन भी कर लिए .........थोड़ा जल्दी हाँथ बढ़ाया कर ,मुझे आते आते शाम हो जाएगी तब तक सब निपट जाना चाहिये "……कह कर फ़ोन पर अपनी दोस्त से बातें करने लगी और कहा , सुलेखा याद है न आज हमे " गांव की छोटी बच्चियों को प्राथमिक शिक्षा देना कितना जरूरी  " टॉपिक पर स्पीच देनी है।  स्पीच इतनी इमोशनल होनी चाहिये की इस बार कम से कम अख़बार मे हमारी मैगज़ीन "शिक्षित बचपन ".......का नाम जरूर हो

रेवा

14 comments:

  1. बहुत ही अच्‍छी रचना।

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  2. सुंदर और सार्थक प्रयास ।।

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  3. सार्थक प्रस्तुति।
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (21-02-2015) को "ब्लागर होने का प्रमाणपत्र" (चर्चा अंक-1896) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. बस यही तो कारण है जो लोग कहते कुछ है और करते कुछ है . इसी लिए समाज नहीं बदल पाता है ... लोगों की कथनी और करनी में बहुत फर्क होता है ... अच्छी कहानी ..
    मेरे ब्लॉग पर आप सभी लोगो का हार्दिक स्वागत है.

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  5. hathi ke dant khane aur ,dikhane ke aur .....

    बहुत सुंदर

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  6. आज 26/फरवरी /2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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