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Tuesday, September 29, 2015

क्या है मेरी पहचान ??



आज मन मे एक सवाल ने दस्तक दिया
क्या है मेरी पहचान ?

रसोई मे अच्छा खाना बनाना
और फिर तारीफ सुन खुश हो जाना ,
या मेरा व्यवस्थित घर
जिसे कभी अव्यवस्थित
रखने की गुंजाइश नहीं ,
या बच्चों की परवरिश
जो अब बड़े हो गए हैं
और अपनी दुनिया मे मस्त
क्या है मेरी पहचान ?

पति का घर लौटने का इंतज़ार
और उनका थका चेहरा जो
बिन बात किये
खा कर सो जाते है ,
या बच्चों की फटकार
उनके कमरे और पर्सनल
लाइफ से  बेदखली
क्या है मेरी पहचान ?

ससुराल मे मेरे उठाये गए
हर कदम पर प्रश्न
या घर की बचत पर
उठते सवाल
क्या है मेरी पहचान ?

मेरे मन का अंतर्नाद
या घर का वो कोना
जहाँ बैठ मैं करती हूँ
रात दिन खुद से
अनगिनत युद्ध
क्या है मेरी पहचान ??

रेवा



Wednesday, September 23, 2015

पापा आप बहुत याद आते हो



जब आप बीमार थे
तो कभी सोचा न था
युँ चले जाओगे
और चले गए तो
आप इतना याद आओगे .......

जब भी बचपन की कोई
भी बात कहीं भी होती है ,
जब भी घर आती हूँ
पापा आप बहुत याद आते हो.……… 

मेरे हर पसंद न पसंद
का ख्याल
आप रखते थे ,
कोई मुझे देख अनुमान नहीं
लगा पाता था की
परेशां हूँ
पर आप झट चेहरा पढ़ लेते थे
पापा आप बहुत याद आते हो ......…

कितना लाड़ और दुलारा दिया आपने
मम्मी को डांटा मेरे लिए
भइया को सजा वो भी मेरे लिए
कभी आपनेे हाँथ नहीं उठाया न
जोर से बोला मुझे
पापा आप बहुत याद आते हो .......

जब याद आते हो
तो आँखों के कोरों को
आंसुओं से भीगो लेती हूँ और
दिल की आह शब्दों
मे भर देती हूँ
पापा आप बहुत याद आते हो .....


रेवा

Monday, September 14, 2015

एक बड़ा सवाल ??



कैसा समय आ गया है
हमे याद रखना पड़ता है
और लोगों को भी
याद दिलाना पड़ता है की
हिन्दी हमारी मातृ भाषा है ,

हालात ये है की
साल के एक दिन हमे
हिन्दी दिवस मनाना पड़ता है
हिन्दी का स्थान और गरिमा
बना रहे इसके लिए अभियान
चलाना पड़ता है ,

बहुत दुखद है ये अवस्था
पर दोषी तो हम सभी हैं
अंग्रेजी मे बात करना अपनी
शान जो समझते हैं हम

जब हम ही ऐसा करते हैं
तो हमारे बच्चे भी यही करेंगे
फिर कैसे हम अपनी भाषा
से जोड़ पाएंगे आने वाली
नस्लों को ???

एक बड़ा सवाल ??

रेवा