जितना अमृता को
पढ़ती हूँ उन्हे और
करीब से जानने का
मौका मिलता है
उनके और इमरोज़
के प्यार और एहसास को
पढ़ कर मेरी रूह
सिहर जाती है
आंखें भीग जाती है
इतना प्यार कैसे हो सकता है ?
मुमकिन नही न
पर है तो ऐसा ही
अमृता की मुस्कान
इमरोज़ की जान
अमृता का अगले जन्म का वादा
इमरोज़ का सच्चा इरादा
अमृता की आदत
इमरोज़ की इबादत
अमृता के नज़्म
इमरोज़ के रंग
और दोनों ही एक संग
ये सब कितना अदभुत है न ....
करीब से जानने का
मौका मिलता है
उनके और इमरोज़
के प्यार और एहसास को
पढ़ कर मेरी रूह
सिहर जाती है
आंखें भीग जाती है
इतना प्यार कैसे हो सकता है ?
मुमकिन नही न
पर है तो ऐसा ही
अमृता की मुस्कान
इमरोज़ की जान
अमृता का अगले जन्म का वादा
इमरोज़ का सच्चा इरादा
अमृता की आदत
इमरोज़ की इबादत
अमृता के नज़्म
इमरोज़ के रंग
और दोनों ही एक संग
ये सब कितना अदभुत है न ....
पर क्या इश्क मर सकता है
खत्म हो सकता है दुनिया से
नहीं न
गर इश्क नहीं तो दुनिया नहीं
तब जो खुद इश्क हैं
वो कैसे जा सकती है कहीं
वो यहीं है हम सब के बीच
जहां इश्क वहां अमृता
और वहीं इमरोज़ भी !!
खत्म हो सकता है दुनिया से
नहीं न
गर इश्क नहीं तो दुनिया नहीं
तब जो खुद इश्क हैं
वो कैसे जा सकती है कहीं
वो यहीं है हम सब के बीच
जहां इश्क वहां अमृता
और वहीं इमरोज़ भी !!
रेवा
#अमृता के बाद की नज़्म
#अमृता के बाद की नज़्म
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (20-01-2018) को "आगे बढिए और जिम्मेदारी महसूस कीजिये" (चर्चा अंक-2854) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
--
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार मयंक जी
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, छोटी सी प्रेम कहानी “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteदो कलाकारों के आपसी प्यार में भी कला के ही दर्शन होते हैं. अमृता प्रीतम और इमरोज़ के प्यार को हम एक कविता भी कह सकते हैं और एक चित्रकार की अनुपम कृति भी.
Deleteशुक्रिया
Deleteप्रेम के हज़ार रंग
ReplyDeleteबहुत खूब!
shukriya
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'रविवार' २१ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteआभार dhruv ji
Deleteअमृता और इमरोज का प्रेम आदर्श प्रेम की मिसाल है...अब तो ऐसे प्रेम की सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है ।
ReplyDeletesach kaha meena ji
Deleteसुंदर गाधा...
ReplyDeleteशायद आप गाथा कहना चाहते हैं ....शुक्रिया
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