हर कोई
सुकून की तलाश में
भटक रहा है
कोई घर में तो कोई
बाहर सुकून तलाशता है
किसी का अपने से युद्ध है
तो किसी का अपनों से ,
सुकून की तलाश में
भटक रहा है
कोई घर में तो कोई
बाहर सुकून तलाशता है
किसी का अपने से युद्ध है
तो किसी का अपनों से ,
कोई नाम के पीछे पागल है
कोई पैसों के पीछे
कोई अहम में रहता है
तो कोई वहम में
कोई गैरों में अपनों को
ढूंढ लेता है
तो कोई अपनों को
गैर बना देता है
कोई सिर्फ दिखावे से प्यार करता है
और कोई अपने ज़मीर से
कोई पैसों के पीछे
कोई अहम में रहता है
तो कोई वहम में
कोई गैरों में अपनों को
ढूंढ लेता है
तो कोई अपनों को
गैर बना देता है
कोई सिर्फ दिखावे से प्यार करता है
और कोई अपने ज़मीर से
पर ये तो सच है
हर एक इंसान
इस जीवन के कुरुक्षेत्र में
युद्धरत है !!
हर एक इंसान
इस जीवन के कुरुक्षेत्र में
युद्धरत है !!
रेवा
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08-02-2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2873 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
शुक्रिया Dilbag जी
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (09-02-2017) को (चर्चा अंक-2874) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार मयंक जी
Deleteसुंदर रचना
ReplyDeleteshukriya gagan ji
Deleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १२ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
वाह!!सुंंदर रचना ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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