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Friday, May 25, 2018

बुद्ध होना आसान है


बुद्ध होना आसान है 

एक रात चुपके से
घर द्वार स्त्री बच्चे को
छोड़ कर
सत्य की खोज में
निकल जाना
आसान है 

क्योंकि कोई  उंगली
उठती नहीं आप पर
न ही ज्यादा सवाल
पूछे जाते हैं
कोई लांछन नहीं लगाता
शब्दों के बाणों  से
तन मन छलनी नहीं किया जाता

लेकिन कभी सोचा है
उनकी जगह एक स्त्री होती तो
वो गर चुपके से निकल जाती
एक रात
घर द्वार पति नवजात शिशु
को छोड़ कर
सत्य की खोज में
क्या कोई विश्वास करता 
उसकी इस बात पर
यातनाएँ तोहमतें लगायी जाती
उसके स्त्रीत्व को 
लाँछित किया जाता 

पूरे का पूरा समाज
खड़ा हो जाता
उसके विरुद्ध 
ये होती उसकी सत्य की खोज

बुद्ध होना आसान है
पर स्त्री होना कठिन !!

रेवा 

17 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (26-05-2017) को "उफ यह मौसम गर्मीं का" (चर्चा अंक-2982) (चर्चा अंक-2968) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सच कहा आपने, माँ सीता तक को नहीं छोड़ा, स्वयं ईश्वर होकर लोकलज्जा का वास्ता देकर

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    1. शुक्रिया कविता जी

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन रास बिहारी बोस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  4. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २८ मई २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

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  5. अद्भुत पर सत्य।

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  6. बहुत ही सारगर्भित तथ्य को उजागर करती रचना सचमुच इस निर्मम संसार में बुध होना आसन है एक स्त्री होना बहुत ही मुश्किल है | वाह !!! आदरणीय रेवा जी बहुत ही कडवी लेकिन खरी बात लिखी आपने --- सादर ---

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  7. अप्रतिम, अर्थगर्भ

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  8. Just learnt you are the poet. My young friend Shabnam shared you. I have been sharing as it came forwarded without name but had to share. Thank you

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  9. बुद्ध होना आसान नहीं है।
    सिद्धार्थ गौतम रात के अँधेरे में बीवी-बच्चे को छोड़कर अपने सांसारिक जिम्मेदारियों से नहीं भागे थे। ये वो समय था जब विदेशों से आर्य वंश के लोग भारत में बस गए थे और इस देश के बहुजन समाज को जातियों में बाँट रहे थे। धर्म के नाम पर कर्मकांडों को बढ़ावा दे रहे थे। लोगों को आपस में लड़ा रहे थे।
    एक बार, उन्हीं आर्य लोगों ने, एक नदी के पानी के लिए, दो राज्यों के बीच युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर दी थी। सिद्धार्थ उन आर्यों की चाल समझ गए थे। उन्हें पता था अगर युद्ध हुआ तो लाखों बेगुनाह लोग मारे जायेंगे। सिद्धार्थ ने युद्ध को टालने की हर संभव कोशिश की और कहा की वो इस युद्ध को रोकने के लिए कोई भी क़ीमत चुकाने को तैयार है। कर्मकांडों का विरोध करके ब्राह्मणों की नजर में वो पहले से ही खल रहे थे। इसीलिए ब्राह्मणों ने कहा की अगर वो युद्ध रोकना चाहते है तो उन्हें उनका राजपाठ त्यागकर वहां से दूर जाना होगा। अपने लोगों को छोड़ने का सिद्धार्थ को बहुत दुःख हुआ था। लेकिन लाखों लोगों की ज़िंदगी बचाने के लिए वो घर से निकल गए। उसके बाद उस राजकुमार ने दर-दर भटककर जो संघर्ष किया और सत्य को जाना, तब जाकर वो बुद्ध हुआ।
    बुद्ध होना आसान नहीं है।
    उन्हें जब भी मौका मिला, वो अपनी पत्नी और बच्चे से मिलते रहते थे। बुद्ध सभी स्त्रियों का सर्वोच्च सम्मान करते थे। यही कारण था की उनके संघ में भिक्षुओं के साथ भिक्षुणी को भी बराबर का दर्जा था।
    बुद्ध होना आसान नहीं है!

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  10. आपने स्त्री के संदर्भ में ठीक कहा है लेकिन बुध्द के का संदर्भ गलत है क्योंकि आपको सिद्धार्थ गौतम और गौतम बुध्द में अंतर दिखाना पड़ेगा । हर कोई बुध्द नही बन जाता लेकिन घर हर कोई छोड़ देता है । तो आपका पोस्ट स्त्री के संदर्भ में ठीक है लेकिन बुध्द को जो कोट किया है बो तर्कसंगत नही है । ये मेरा विचार है

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  11. Buddha hona asan nhi h agr buddha hona asan hota to aj hamari ye durdasha na hoti...buddh sirf or siff ek hi the wo the mahatma buddha.unke jaisa koi hoga v nhi ..

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