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Monday, July 2, 2018

मेरे हिस्से


मेरे हिस्से आता है 
सिर्फ़ देना
अपनी मीठी बोली
अपना प्यार
अपना समर्पण
अपना परिश्रम
अपना सारा समय
अपनी हंसी
पर मेरी भी कुछ
कमजोरियां हैं
मन के कुछ निग्रह हैं
क्या तुम उसे
नज़रंदाज़ नहीं कर सकते
जब इतना कुछ लेते हो
बदले में कुछ न दो
पर सम्मान तो
दे ही सकते हो न  !!!


रेवा 

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-07-2018) को "ब्लागिंग दिवस पर...." (चर्चा अंक-3020) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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