मुस्कुराने की चाह में
जाने क्यों
हर बार ये आंखें
भीग जाती हैं ....
तुझे सुकून से भरने
जब जब तेरे माथे पर
हाथ फेरती हूँ तो
ये आँखें भीग जाती हैं .....
तुम जब किसी दिन
खिल खिला कर हँसते
हो न
हंसना चाहती हूँ मैं भी
पर जाने क्यों
ये आँखें भीग जाती हैं .....
जब कभी
लम्बे इंतज़ार के बाद
तुम मुझे अपने आगोश
में समेटते हो तो
सुकून से भर जाती हूँ
पर जाने क्यों
ये आँखें भीग जाती हैं
कभी कभी जब तुम मेरी
सिर्फ मेरी परवाह करते हो
मुझे बहुत ख़ास महसूस
करवाते हो तो
उस दिन ये आँखें
भीगती नहीं
अनायास ही
बरसने लग जाती हैं ......
#रेवा
वाह बहुत खूब सुंदर भाव से सजी रचनामुझे बहुत ख़ास महसूस
ReplyDeleteकरवाते हो तो
उस दिन ये आँखें
भीगती नहीं
अनायास ही
बरसने लग जाती हैं ......
शुक्रिया
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26.07.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3344 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
शुक्रिया
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