बूंदों की पोटली
बूंदों की पोटली में
बांध कर
भेजी है मैंने
प्यार की सौगात....
जब वो बूँद
पड़ेगी तेरे तन पर
तो महसूस होंगे
तुझे
मेरे एहसास......
पर वादा करो
अगली बरसात के
साथ
लौटाओगे मुझे अपने
जज्बात.....
गर न भी मिल पाए
हम तुम तो क्या
यूँ ही बरसात के साथ
भेजते रहेंगे एक दूजे को
साथ होने का एहसास.......
#रेवा
#बरसात
वाह बहुत सुंदर
ReplyDeleteशुक्रिया अनुराधा जी
Deleteभीगे शब्द एक प्यारी सी कविता, जो अच्छी लगी
ReplyDeleteशुक्रिया संजय
Deletepyar ki barsat....
ReplyDeletebahut sunder
आभार आपका
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (01-08-2018) को "परिवारों का टूटता मनोबल" (चर्चा अंक-3050) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
खुबसूरत एहसास
ReplyDelete