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Wednesday, August 29, 2018

बारिश की बूँदें (2)



बारिश की बूँदें
प्रकृति का सौन्दर्य
दोगुना कर देती है
सबका मन हर्षो उल्लास से
भर देती है ,
प्रेमी प्रेमिकाओं के लिए
तो ये बूँदें  मानो
वरदान हो ,
पर यही बूँदें
मेरे मन को शीतल
करने की बजाय
अग्न क्यों पैदा
कर रही है ??
हर एक गिरती
बूंद के साथ
मन और भारी क्यों हो रहा है ??
क्यों पंछियों की तरह
मैं भी खुश हो कर
दूर गगन में
नहीं उड़ पा रही ,
वो भी तो अकेले
ही होते हैं हमेशा 
फिर मैं क्यों नहीं ?
क्यों बरसात मुझे
किसी के साथ और
प्यार की जरूरत महसूस
कराता है ?

"ये आकाश से गिरते बूँदें हैं
 या मेरी आँखों के अश्क़
 ये आकाश प्यार बरसा रहा है
 या मेरा मन अपनी व्यथा "

रेवा

13 comments:

  1. सुन्दर जी , आपको पढ़ के तो बरसात और भी गीली गीली सीली सीली सी हो गयी है | शुभकामनायें

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  2. बहुत सुंदर
    ये आकाश से गिरती बूंदें है
    या मेरी आँखों के अश्क़

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन गाँव से शहर को फैलते नक्सली - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  4. बहुत सुन्दर सृजन

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  5. बेहद खूबसूरत रचना रेवा जी

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