जानते हो
आज इस बरसात
और धूप के
खेल में
Fm में बजते
पुराने गानों के बीच
तुम्हारी बहुत
याद आ रही है ...
और धूप के
खेल में
Fm में बजते
पुराने गानों के बीच
तुम्हारी बहुत
याद आ रही है ...
चारों तरफ हर
कुछ बहुत सुहाना है......
मौसम, गानें
और तुम्हारी याद ....
कुछ बहुत सुहाना है......
मौसम, गानें
और तुम्हारी याद ....
तो ऐसे में मुझे
खुश होना चाहिए.....
फिर भी मन उदास
सा क्यों हो रहा है ??
खुश होना चाहिए.....
फिर भी मन उदास
सा क्यों हो रहा है ??
तन्हाई नहीं
अकेलापन महसूस
हो रहा है
वो भी शिद्दत से
अकेलापन महसूस
हो रहा है
वो भी शिद्दत से
मैं खुद को समझ
नहीं पा रही की
आखिर क्या चाहिए मुझे ??
और ये आंखें
ये आंखें क्यों भीग
रही हैं बार बार ???
नहीं पा रही की
आखिर क्या चाहिए मुझे ??
और ये आंखें
ये आंखें क्यों भीग
रही हैं बार बार ???
सुनो
तुम तो सब जानते हो न
क्या तुम मेरी इस दशा को
समझ
तुम तो सब जानते हो न
क्या तुम मेरी इस दशा को
समझ
मुझे समझा सकते हो
बोलो, बोलो न .....
बोलो, बोलो न .....
जानती हूं
तुम कुछ न बोलोगे
क्योंकी तुम जानते हो
धूप और बरसात
कुछ क्षण साथ रहते हैं
पर मिल कभी नहीं पाते ...
तुम कुछ न बोलोगे
क्योंकी तुम जानते हो
धूप और बरसात
कुछ क्षण साथ रहते हैं
पर मिल कभी नहीं पाते ...
#रेवा
सुन्दर रचना
ReplyDeleteshukriya onkar ji
Deleteबेहतरीन....!!!
ReplyDeleteशुक्रिया sanjay जी
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