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Wednesday, August 22, 2018

एकाकार का आभास



जानती हूँ मैं
मेरे दिल 
तुमने जीया है
असीम प्यार
एकाकार का आभास

हर पल में पाया है
सदियों सा एहसास
दिल की धड़कन से लेकर
सांसों की तड़पन
तक को महसूसने वाला प्यार

बिन छुए
हृदय को स्पंदित करने वाला
एहसास
साँसों के उतार चढ़ाव से
मन का हाल जानने वाला
दुनिया से मिलाने वाला
ख़ुद की पहचान करवाने वाला
कड़वी यादों को
मीठी यादों से भरने वाला 

कभी बच्चों सा ज़िद्दी
कभी शिक्षक सा कड़क
होकर समझाने वाला

मैं जानती हूं मेरे दिल .....
फ़रिश्ते जैसे इस इंसान
को न पा कर भी
पाने जैसा है
और बिन साथ जीये भी
ताउम्र साथ रहने जैसा है !!!!


#रेवा 

10 comments:

  1. बहुत सुंदर आदरणिया अनुजा

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  2. बहुत सुंदर रचना 👌👌

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 23.8.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3072 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  4. Such a great line we are Online publisher India invite all author to publish book with us

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  5. एक आवाज को दम देती आपकी रचना।
    बेहतरीन

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