ये सिर्फ संबोधन
नहीं प्यार है
दीदी तुम माँ तो नहीं
पर उससे कम भी नहीं
जानती हूँ
मेरे दुःख में
तुम्हारी आँखें भी भरमेरे दुःख में
आती है
तुम्हें लगता है
तुम ऐसा क्या कर दो
कि मैं दुखी न रहूँ
और मेरी ख़ुशी में भी तुम
हमेशा खुश हो जाती हो
जाने तुम इतनी अच्छी
कैसे हो लेती हो हर बार
लगातार .......
तुम्हारे पिटारे में सिर्फ
प्यार नहीं सलाह और
हर परेशानी का हल
भी होता है
वो भी टोकरी भर के......
हर सलाह इस विश्वास
से देती हो की
अगर मैं मान लूँ तो
सारी तकलीफ़ दूर
तुम्हारा इसमे
स्वार्थ भी होता है
और वो है मेरा सुख
बचपन से लेकर
आज तक
बस तुमने दिया है
कभी कुछ लेने की
चाह नहीं की
एक बात बताना तुम किस
मिट्टी की बनी हो ??
मिट्टी चाहे जो हो
जिस कुम्हार ने
तुम्हें गढ़ा है
उसने पानी की जगह
प्यार मिलाया है
जानती हो तुम्हारे बिना
मैं अपनी ज़िन्दगी
सोच भी नहीं सकती
दीदी तुम माँ तो नहीं
पर उससे कम भी नहीं ..........
#रेवा
Didi MATLAB deyna
ReplyDeleteRula diya is rachna Ney
Hats off to you
आज और हमेशा ....तुम्हें ढेर सारा प्यार
Deleteरिश्तों की अहमियत इससे और बेहतरीन तरीके से बयां नहीं की जा सकती...
ReplyDeleteभावनाओ को शानदार तरीके से शब्द देते हो आप...
रिश्ता चाहे 'माँ' का हो...'पिता' का हो या 'बेटे' का...
और बार आपने 'दीदी' की आत्मीयता बयां की ....!!
शुभकामनायें आपको...
बहुत बहुत शुक्रिया Sanjay जी
Delete
ReplyDeleteदीदी तुम माँ तो नहीं
पर उससे कम भी नहीं बहुत सुंदर रचना 👌 सच में दीदी माँ नहीं पर माँ जैसी प्यार करने वाली होती है
शुक्रिया अनुराधा जी
Deleteआपके द्वारा लिखी यह कविता जैसे लगता हैं दिल की गहराई में बस समाती ही जा रही हैं बहुत प्यारी रचना
ReplyDeleteजी रचना ने आपके दिल को छुआ ....रचना सार्थक हो गयी....बहुत शुक्रिया आपका
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 9 अगस्त 2018 को प्रकाशनार्थ 1119 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
जी शुक्रिया
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 9.8.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3058 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
आभार Dilbag ji
Deleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 78वां जन्म दिवस - दिलीप सरदेसाई और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteShukriya
Deleteखरा सत्य पिरो दिया आपने शब्दों में शुरुवात ही इतना वजनदार है कि क्या कहा जाए माँ तो नही पर माँ से कम नही हो बेहतरीन..
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आपका ....आपने भावनाओं को समझा
Deleteशुभकामनाएं !
ReplyDeleteबेहतरीन... भावपूर्ण रचना रेवा जी।
ReplyDeleteशुक्रिया sweta जी
Deleteअपनी दी के प्रति प्रगाढ़ स्नेह और विश्वास प्रदर्शित करती बेमिसाल रचना भाव अंतर तक छू गये।
ReplyDeleteअप्रतिम सुंदर।
बहुत शुक्रिया kusum जी
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