आकाश की तड़प
आज समझ आई
आकाश की तड़प..
जब आसमान
तड़पता है
अपने प्यार के लिए
तो उसकी भी धड़कने
बढ़ जाती हैं
और वो काले बादल
बन कर
गरजने लगता है
सांसें तेज़ हवाओं सी
बहने लगती हैं
दिल की टीस
बिजली बन
कड़कने लगती है
पर जब उसकी ये
पुकार
उसकी व्यथा
धरती नहीं सुनती
तो आँसू बन कर
धरती से मिलने
बरस पड़ते हैं ये बादल।
रेवा
बहुत खूब 👌👌
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteआभार
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन नौ दशक पूर्व का काकोरी काण्ड और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteबेहतरीन.....
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