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Tuesday, December 25, 2018

जीवन की रीत


मैंने अपने दिल में 
तिनका तिनका
जोड़ कर तेरे इश्क़ का
एक घोसला बनाया है

जिसमें हम रह रहे हैं साथ साथ
अपनी दुनिया बसा कर
हर दुख सुख साझा करते हुए
समय आने पर
बच्चे उड़ कर चले जाएंगे
अपने अपने घरौंदों की ओर

रह जाएंगे बस तुम और मैं
एक चाहत है मेरी
जब हमारी उड़ने की आये बारी
तो हम उड़े भी साथ साथ
लेकिन पता है ये मुमकिन नहीं
हमेशा रह जाती है अकेली
एक कि प्रीत
पर ये भी जानती हूँ
यही तो है जीवन की रीत

#रेवा

7 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (26-12-2018) को "यीशु, अटल जी एंड मालवीय जी" (चर्चा अंक-3197) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सही है प्रिय रेवा जी जीवन की यह रीत सदा ही वेदना पूर्ण होती है। मर्मस्पर्शी रचना के लिए आभार।

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  3. बहुत ही सुन्दर रचना

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  4. बहुत खूबसूरत रचना रेवा जी

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