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Wednesday, June 12, 2019

आँखें



आँखें बहुत कुछ 
देखती है कहती हैं
जो देखती है समझती हैं 
उससे चहरे के भाव
बदलते हैं
आँखों की भाषा
बहुत मुश्किल है
पर गर मन से पढ़ा जाए तो
पढ़ना बहुत आसान है


यहाँ मेरे जीवन से जुड़ी
तीन परिस्थितियों का
वर्णन करना चाहूँगी
जो मुझे कभी भूलती नहीं
देखी थी मैंने माँ की आँखें
बेटी को दुल्हन
रूप में हौले हौले चलते
जब निहार रही थी
एक पल आँसू
बिटिया के जाने का दुख
पर दूजे पल आँसू मिश्रित हंसी
जैसे ख़ुद से कह रही हो
रो मत बिटिया की खुशी के दिन है

देखी थी मैंने वो दो
आँखें जो पति
के प्यार करने पर
उन्हें जीवन से
भरपूर हो निहार
रही थी
ये उन आँखों को भी
पता नहीं था कुछ पल
बाद ही जिसे वो निहार
रही है वो रहेगा ही नहीं

देखी थी वो आँखें
जो पति के जाने
के बाद ख़ामोश
सूनी, मृत समान
हो गयी थीं
वक्त के साथ
अब समझदारी ओढ़े
जीवंत हो गयी है

आज फिर देखी दो जोड़ी
आँखें पति को
अंतिम विदाई देते
आँखों से मनुहार करते
प्यार जताते और फिर
आँसुओं को जज़्ब करते
जैसे कह रही हो
तुम अब आँखों में बस गए हो
आँसू गिरा कर तुम्हें
आँखों से बहाना नहीं चाहती

14 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना आँखों पर
    सादर

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 12/06/2019 की बुलेटिन, " १२ जून - विश्व बालश्रम दिवस और हम - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (14-06-2019) को "काला अक्षर भैंस बराबर" (चर्चा अंक- 3366) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. आँखों की कहानी ...
    कितना कुछ समाया है इन दृश्यों में ... जीवन का अटल सत्य ...

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  5. बहुत खूब ,आँखो की जुबां बिन बोले ही सब बोल जाती हैं

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  6. खूबसूरत पंक्तियाँ

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