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Saturday, June 8, 2019

साहिर और अमृता


अमृता का प्यार
सदाबहार
उसके गले का हार
साहिर बस  साहिर

उसका चैन उसका गुरूर
उसकी आदत उसकी चाहत
उसका सुकून उसकी मंज़िल
साहिर बस साहिर

उसकी ताकत उसकी हिम्मत
उसकी लेखनी उसकी कहानी
साहिर बस साहिर

उसका दिल उसकी सांसें
उसकी जिंदगी उसकी बंदगी
उसकी आशिकी उसकी ख़लबली
साहिर बस साहिर

फिर क्या हो गयी बात
क्यों छोड़ दिया था साथ
यह दरार यह दूरी
यह तन्हाई यह रुस्वाई
यह बेबसी यह मजबूरी
यह खटास यह अलगाव

क्या यही था किस्मत का लिखा
क्या यही था अंत दोनों का
क्या यही थी जुस्तजू उनकी
क्या यही थी आरजू़ उनकी
या ग़लतफहमी
या शक
या आत्म सम्मान का 
पड़ा कोई रोड़ा
या हालात की मार 

जो भी थी बात
वो कभी पन्नों ने दर्ज नहीं किया
दुनिया ने महसूस नहीं किया
लोगों के बीच आया नहीं
किसी ने सोचा नहीं
किसी ने बताया भी नहीं

वो दो होते हुए भी एक थे
एक रहे जीवन भर
जीते रहे एहसासों में 
एक दूजे के लिए
संगसंग आखिरी दम तक
अमृता का प्यार साहिर तक
जीना साहिर तक
मरना साहिर तक
होना साहिर तक
मोहब्बत और साहिर के बीच
केवल अमृता।

15 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति

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  2. व्वाहहहहहह
    बेमिसाल
    सादर

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    1. बहुत शुक्रिया बहना

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  3. बहुत सुंदर.. ,प्यार से रची प्यारी रचना

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-06-2019) को "धरती का पारा" (चर्चा अंक- 3361) (चर्चा अंक-3305) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. सुन्दर प्रस्तुति

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  6. बहुत सुन्दर

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  7. आपकी रचना का क़द्र करता हूँ पर साहिर और अमृता के साथ इमरोज़ का जिक्र नहीं करना एक गुनाह होगा शायद

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    1. अगर आप इन तीनों के बारे में पढ़े और बातों की तह तक जाएं तो ऐसा नहीं लगेगा

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  8. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 09/06/2019 की बुलेटिन, " ब्लॉग बुलेटिन - ब्लॉग रत्न सम्मान प्रतियोगिता 2019 “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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