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Friday, February 21, 2020

इश्क़


तुम्हारे कांधे पर सर रख कर 
सुकून महसूस करना इश्क है 

नज़र भर तुम्हें देखना और बस 
देखते रह जाना इश्क है 

आईने में संवरना और तुम्हें याद कर 
मुस्कुराना इश्क है 

महज़ तुम्हारी आवाज़ सुन कर 
गुलाबी हो जाना इश्क है

सपनों में तुम्हारा दिदार करना 
और दिन भर उसी एहसास को जीना 
इश्क है 

तुम्हारे बिना तुम्हारे साथ रहना 
इश्क है 

किसने कह दिया इश्क देह है 
इश्क विदेह है 
सिर्फ और सिर्फ एहसास है 

#रेवा

Monday, February 17, 2020

आदत

तुम्हें मांगने की 
कितनी आदत हो 
गयी है न 
शीर्ष पर पहुंचने 
की होड़ में 
प्रसिद्धि पाने 
के जोड़ तोड़ में 
इसका बहुत बड़ा 
हाथ है 

पहले तो थोड़े 
बहुत से काम चल 
जाता था पर
अब मांगते मांगते 
इतनी आदत हो गयी 
है कि जहां कुछ 
अच्छा दिखा बस 
माँग लिया 

ये जानते हो न
की सूरज की किरणें 
एक छिद्र में भी 
अपनी जगह बना 
लेती है.... 


#रेवा

Sunday, February 16, 2020

आधा चाँद



बहुत दिनों बाद 
आज फिर दिखा मुझे 
अपनी खिड़की से
वो आधा चाँद 
जिसे देख 
मैं भाव विभोर हो गयी 

मुस्कुराते हुई तुरन्त 
लिख दी तुम्हारे नाम 
कविता और 
उसमे लिखी वो सारी 
अनकही 
बातें जो चाह कर भी 
मैं तुमसे कह नहीं पाती... 

जानते हो क्यों ??
क्योंकि डरती हूँ 
कहीं वो बांध जिसने 
हम दोनों को बांध 
रखा है टूट न जाये 
और हम बिखर न 
जाएं... 

#रेवा

Saturday, February 8, 2020

अमन


ऊँचे उड़ान भरते 
पंछियों को
देखा होगा न तुमने
इनका मज़हब जानते हो
क्या है

दाना चुगना
अपने और अपने बच्चों के लिए
घोंसला बनाना और
आसमान में उड़ान भरना
ये खुद भी शांति से रहते हैं
और अपने साथियों को भी
शांति से रहने देते है

पर
हम ये जानते हैं कि हम में से
किसी का मज़हब इतनी शांति की
इजाज़त नहीं देता हमे
इजाज़त है तो बस मार, काट,
दंगा फसाद की

जानते हो, हम सब इन
पंछियों से भी गये गुजरे हैं

उठो साबित करो हम में इंसानियत
अभी शेष है
भरो अपनी कलम में शांति की स्याही
और लिख दो देश के सीने में अमन


#रेवा

Tuesday, February 4, 2020

बचपन के रिश्ते



एक ही माँ बाप की 
पैदाइश 
एक साथ खेले 
बड़े हुए 
रोटियाँ बांटी 
ख़ुशियाँ और ग़म 
बांटा 
लड़ाई झगड़े किये 
पर हर बार साथ हो लिए 
कभी किसी को अपने 
बीच न आने दिया 

जब बड़े हो जाते हैं 
तो समझदारी भी 
बढ़ जाती है
रिश्ता और आपसी 
समझ और मजबूत 
हो जानी चाहिए 
पर जैसे जैसे बड़े होते हैं 
जाने क्यों बचपन के रिश्तों में 
सेंध सी लग जाती है 
एक दूसरे से कटने लगते हैं 
रिश्ते की ऊष्मा कहीं 
खो सी जाती है
दुनिया भर की बातें 
उलाहने बीच में आ जाते हैं 

अपनी अपनी अलग दुनिया 
बसा लेते हैं 
और बचपन के प्यार और 
साथ को जाने क्यों 
भूल जाते हैं 

#रेवा

Sunday, February 2, 2020

फरियाद




शायद और कोई फरियाद 
भी माँगी होती तो आज 
पूरी हो जाती 

पता नहीं था सुबह मुझे के 
आज का दिन इतना 
ख़ास हो जाएगा 

आने वाले जन्मदिन के इंतज़ार 
में मैं वैसे ही खुशी के खजाने 
से भरी हुई थी 

चकित करने वाली बात ये थी
की आज मेरे बातों के साथी 
से मेरी एक छोटी मुलाकात हुई 
उस मुलाकात में उसकी 
कही बात ने मुझे 
दोबारा उससे प्रेम करने पर 
मजबूर कर दिया 

बात करते समय वो मुझे 
देखे जा रहा था 
जैसे कितने जन्मों बाद 
हम मिले हों
पर फिर एकदम 
अचानक गायब हो गया 

जब दोबारा बात हुई तो उसने कहा 
"तुमको और नहीं देख सकता था 
मेरी आँखें भरने लगी थी "

उसके इस कथ्य ने कितना 
कुछ कह दिया मुझसे 
यही तो है प्रेम बस प्रेम

#रेवा