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Friday, December 24, 2021

माघ की मेहँदी








यूँ तो हमारे यहाँ
प्रथा है कि
सुहागनें कोई भी
व्रत उपवास करने से पहले
हाथों में मेहँदी सजाती है,
मुझे ये समझ नहीं आता था
हर बार माँ से
एक ही सवाल
ऐसा क्यों ?
नहीं लगाया तो क्या होगा ?
पर अब जब
अपनी बारी आई और
हाथों में
तेरे नाम की मेहँदी लगायी
तो समझ आयी
माँ की सारी अनकही बात,
मेहँदी ने मेरे हाथों में
जो रंग चढ़ाया वो
बिलकुल तेरे प्यार की तरह था,
कहीं रंग कम
कहीं ज्यादा
कहीं मिला जुला
कहीं एकदम फीका
पर पूरी हथेली
और उँगली
जैसे खिल गयी हो
मेहंदी के रंग से
और जब तुमने 
बढ़कर मेहंदी 
लगे हाथों को चूमा 
तो हाथों के साथ 
मेरे गाल भी सुरमई 
हो गए !!!!

21 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२५-१२ -२०२१) को
    'रिश्तों के बन्धन'(चर्चा अंक -४२८९)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. बहुत शुक्रिया अनीता जी

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  2. वाह ...
    बहुत सुन्दर एहसास लिए आपकी रचना ...

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  3. बहुत ही सुंदर भावों को बयां करती खूबसूरत रचना! 😍

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  4. वाह!!!
    बहुत ही सुंदर मनभावन सृजन।

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  5. प्रीत की रचती हथेली ने मेंहदी के रंगों का भेद स्वयं समझा दीया ।
    सुंदर भाव ।

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. बहुत खूबसूरत रचना

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  8. बेहद खूबसूरत रचना।

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  9. बहुत शुक्रिया

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