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Friday, September 30, 2011

मन की व्यथा

कभी कभी 
मन मे विचार 
तो बहुत सारे
आते हैं ,
पर न उँगलियाँ 
न शब्द साथ 
देते हैं ,
लगता है
शब्दों की कमी
हो गयी है ,
या फिर ये 
उँगलियाँ लिख 
ही नहीं पा रही ,
या फिर मन 
जिस तेज़ी से 
दौड़ रहा है ,
जितना कुछ 
सोच  रहा है ,
उन सबको 
शब्दों मे 
ढाल पाना 
बहुत मुश्किल है ,

"बार बार लिखना चाहा ,
 जानना चाहा खुद को 
 पर न ही लिख पाई 
 न ही समझ पाई खुद को 
 मन की व्यथा 
 मन मे ही दबा कर 
 बस जलाती रही खुद को "

रेवा 


Friday, September 23, 2011

तारे

पिछले कुछ दिनों मे
आकाश मे टिमटिमाते 
तारों की भाषा पढ़ने
की कोशिश की,
तो पाया की ये 
हमे कितना कुछ 
सीखाते हैं रिश्तों
के बारे मे,
कितने अनगिनत 
तारे एक साथ 
रहते हैं 
उस नीले असमान पर
बिना लड़े झगडे ,
बस टिमटिमाते 
रहते हैं /
दो प्रेमियों की तरह 
एक दुसरे से 
प्यार करते ,
एक दुसरे को सदा 
देखते रहते हैं,
पर कभी एक दुसरे 
से मिल नहीं पाते,
न कभी इसकी 
शिकायत ही 
करते हैं किसी से,
बस 
प्यार करते रहते हैं ,
ध्यान से देखो उन्हें 
और जीवन को 
प्यार से जगमगाते 
रहो ...........

रेवा 


Tuesday, September 6, 2011

दिल की डायरी मे

इन तीन सालों मे
बहुत कुछ पाया 
है तुमसे ,
दोस्ती ,विश्वाश
अपनापन ,ख्याल ,
इसी मे डूब कर 
सब कुछ भूल 
गयी थी मै ,
यहाँ तक की 
अपनी डायरी भी ,
सबकुछ तुमसे 
जो बाँट लिया 
करती थी ,
पर अब लगता है 
तुम्हारे पास 
मेरे लिए समय नहीं ,
या तुम्हारी जिम्मेदारियाँ
बढ़ गयी है /
जो भी है ,
बहुत अकेला कर
दिया है तुमने मुझे 
शायद तुम 
मेरा दर्द कभी 
न समझ पाओ ,
क्युकी तुम इस 
कदर मसरूफ हो 
की तुम्हे एहसास 
ही नहीं, 
इस तकलीफ का ,
पर मेरी डायरी
कभी इतना मसरूफ
नहीं होगी ,
वो आज भी
मेरा इंतज़ार 
वैसे ही कर
रही है ,
जो भी हो ,
तुम्हारे साथ 
बिताया हर लम्हा , 
संजो कर रखूंगी 
इस दिल की 
डायरी मे l 

रेवा 




Friday, September 2, 2011

एक प्रशन ?

एक प्रशन है 
जो मुझे बार-बार 
सताता है ,
क्या रिश्ते 
फूलों की तरह 
होते हैं ?
खिलते हैं
कुछ समय 
के लिए ,
फिर मुरझा 
जाते हैं /
चाहे जितना भी 
खाद , पानी डालो 
पर वो हमेशा 
खिले नहीं रह सकते ?




रेवा