कभी कभी
खुद पर ही
विशवाश नहीं होता ,
जब तुम्हे प्यार भरी
पाती लिखती हूँ
और पढ़ती हूँ ,
तो लगता है
क्या ये मैंने लिखा है ?
क्या इतना प्यार भरा
होता है दिल मे ,
या सच मे मैं
पागल हूँ ,
जैसा तुम कहते हो ,
पर सच बताऊ तो
पढ़ कर आंखें
भर आती है ,
पता नहीं क्यों ?
लिखा तो तुम्हे है
फिर मैं क्यों
रो पड़ती हूँ ?
रेवा
खुद पर ही
विशवाश नहीं होता ,
जब तुम्हे प्यार भरी
पाती लिखती हूँ
और पढ़ती हूँ ,
तो लगता है
क्या ये मैंने लिखा है ?
क्या इतना प्यार भरा
होता है दिल मे ,
या सच मे मैं
पागल हूँ ,
जैसा तुम कहते हो ,
पर सच बताऊ तो
पढ़ कर आंखें
भर आती है ,
पता नहीं क्यों ?
लिखा तो तुम्हे है
फिर मैं क्यों
रो पड़ती हूँ ?
रेवा
बेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
सुन्दर अभिव्यक्ति ..
ReplyDeleteBahut sundar!
ReplyDeleteरेवा जी,
ReplyDeleteभावों से सुसज्जित शब्दों की दुशाला ओढ़े अति सुन्दर रचना !!
भावमय करते शब्दों का संगम........
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना..
ReplyDeleteYe rachana padhke to meree aankhen bhar aayeen!
Deleteरेवा जी....नमस्कार :)
ReplyDeleteहमेशा की तरह सुंदर भावो से सजी एक खुबसूरत रचना !!
aap sab ka bahut bahut shukriya
ReplyDeleteHappy Birthday G :-)
ReplyDeleteRe Waaa Are Wahhh
Rotey Rotey Hasna Sikho
Hastey Hastey Rona :)
iga punga tung
बहुत ही सटीक और भावपूर्ण रचना। धन्यवाद।
ReplyDeleteshukriya
DeleteBawara man dekhan chala ek sapna .............
ReplyDeleteBahut sundar, sajag-man ki bhavnatmak rachna .
Sukhi raho Mini .
Dadu"
heyy dadu....aap bahut dino baad aye.....thank u so much
DeletePintu Bhai.....thanx for commming....Bday may abhi samay hai
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