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Wednesday, March 20, 2013

शायरी जैसी लड़की

कितनी ही बार
तूने मुझसे एक अदद
साथी ढूढने की इल्तेज़ा
कि है
ऐसी जो तेरी शायरी
में छुपे एहसासों जैसी हो
जो तेरे अनकहे
अल्फाजों को पढ़ सके
जो शायरी के
हर शेर की खुशबु हो
जो उसमे  बयां
लड़की की तरह
बे इन्तेहाँ  प्यार करे तुझसे ,
पर क्या तुझे पता है की
ऐसी लड़की कहीं नहीं है
कहीं नहीं ,
क्यूंकि वो तो तेरी धड़कन
में बसी ,
तेरे कलम से शब्द बन कर
पन्नों पर बिखरी रहती है

रेवा




15 comments:

  1. सच है कल्पना और वास्ताविकता में फर्क है
    latest postऋण उतार!
    latest postउड़ान

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  2. Lekin jo panno par bikhartii rehtii hai wo wastav mei kahi to hai ... tabhi to uske khwaabo sei wo kavita ban kar panno par utartii hai ...,,, Bahut sundar rachanaa ..... Badhaayee

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  3. .बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति . आभार हाय रे .!..मोदी का दिमाग ................... .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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  4. लाजबाब कविता .....
    शुभकामनायें ....

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  5. rewa sundar ehsaas sundar alfajo ke sath

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  6. अति सुन्दर कविता,

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  7. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....

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  8. हमारे लिखे वह पन्ने जुड़ जाए तो शायद वो शायरी वन कर उतर आए

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