प्यार शब्द खुद मे इतना प्यारा है की इसे किसी परिभाषा की ज़रूरत नहीं ……ये एक एहसास है जो बस महसूस किया जा सकता है,पर इसके साथ ये भी सच है की प्यार की बड़ी बड़ी बातें सभी लोग कर लेते है……पर सच्चा प्यार बहुत कम लोगों के नसीब मे होता है……ये भी माना के प्यार दर्द भी देता है पर अगर ये सच्चा है तो संतुष्टि भी देता है…ऐसा प्यार हमे प्रभु के और करीब ले जाता है …ये मेरी भावनाएं और एहसास , इन्हीं को शब्द देने की कोशिश है मेरी …....
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Wednesday, October 30, 2013
Thursday, October 24, 2013
तन्हा अकेली
नहीं रहना मुझे
तन्हा अकेली
बिना तेरी
मौजूदगी के ,
मानती हूँ
सिर्फ जिस्मानी मौजूदगी
मायने नहीं रखती
हम तो रूह से जुड़े हैं
पर फिर भी
नहीं रहना मुझे
तन्हा अकेली ,
सिर्फ तेरी यादों
के सहारे
सिर्फ तेरी बातों
के भरोसे ,
मानती हूँ
कुछ महीनों की
ही बात है ,
पर फिर भी
नहीं रहना मुझे
तन्हा अकेली ,
माना आंसुओं
को जगह नहीं देनी
आँखों मे
ये तेरी इल्तेज़ा थी
पर ये बरबस
तुझे याद करके
बहने लगे तो क्या करूँ ?
कैसे बहलाऊ ?
नहीं रहना मुझे
तन्हा अकेली /
"बिन तेरे सुना है संसार
तू आजा ले के बहार "
रेवा
Thursday, October 17, 2013
Friday, October 11, 2013
Saturday, October 5, 2013
स्वार्थी
इस विरह बेला से
अलबेला रहना ,
लाख कोशिशों
के बावजूद ,
आंसू बन ही गयें हैं
दिल की जुबान ,
हर प्यार भरे गीत पर
हर याद पर
हर बात पर
बरबस गलों को
गिला कर जातें हैं ,
आंसुओं पर
रोक लगाना मुश्किल
होता है न ,
और मेरे लिए
और भी मुश्किल ,
जानते हो न
तुम्हारे जाने से
पहले वाली रात
तुम्हारे कंधे पर
सर रख कर
सिसक उठी थी मैं ,
तुम कुछ न बोल पाए
बस चुप चाप
मेरे बालों को
सहलाते रहे ,
जानती हूँ आसान
तुम्हारे लिए भी नहीं ,
पर मुझे आज
अपना दर्द
ज्यादा महसूस हो रहा है
शायद स्वार्थी हो गयी हूँ मैं
पर तेरे प्यार के लिए !!
रेवा