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Monday, December 16, 2013

पर गलती तो हमारी है



आज पुरे एक साल हो गए
उस भयानक रात को गुजरे 
पर क्या कुछ बदला है ?
कैसे बदलेगा ?
क्युकी 
गलती तो हमारी है ,

हम घर से बहार 
रात हो या दिन अकेले 
नहीं निकल सकते ,
क्युकी आज़ाद देश मे
हम आज़ाद नहीं  
पर गलती तो हमारी है ,

हम कपड़े पहनते है 
पर फिर भी लोग 
कपड़ो के निचे का 
तन देखते हैं 
पर गलती तो हमारी है ,

मोबाइल फ़ोन पर एप्प्स 
हाँथ मे चिल्ली स्प्रे लेकर 
हम चलते हैं 
फिर भी हम सुरक्षित नहीं 
पर गलती तो हमारी है ,

इस धरती पर हम जन्मे 
घर मे लाड़ प्यार से पले 
देवी बन कर पूजे गए ,
जिन हाँथो ने पूजा 
उन्हींने फिर अस्मत लुटा 
हम लुटे गए उसमे भी 
गलती हमारी है ,

ऐ भगवन 
नारी रूप मे इस धरती पर 
बार बार जन्म देना 
ताकि बार बार हम ये 
साबित करते रहे की 
नारी का जन्म 
गलती नहीं है 
वो लूट और भोग कि 
वस्तु नहीं है,
वो एक शक्ति का स्वरुप है। 


रेवा 



15 comments:

  1. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना.

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  2. Nari Man Ki Vedna Ko Bahut Khoob Shabd Roopi Aapne Sajaye Hain.

    हम कपड़े पहनते है
    पर फिर भी लोग
    कपड़ो के निचे का
    तन देखते हैं
    पर गलती तो हमारी है ,

    Purush Or Samaj Ka Jab Tak Mansikta Nahi Badlega, Tab Tak Koi Bhi Kanoon Ban Jaye, Halat Nahi Sudhar Sakte Hain.

    Or Mansikta Tabhi Badlegi Jab Har Maa-Baap Apne Bachchon Pe Bachpan Se Hi Kadi Nigrani Ke Saath Saath Uchit-Anuchit me Antar Or Nek Salah Denge. Aaj Ke Halat Me Bhi Jabtak Har Vykti Jimmedari Se Aise Dushkrmon Ka Virodh Nahi Karenge. Ye Jaghny Paap Karne Wale Nahi Baaj Aayenge.
    Kewal Kanoon Banane Se Nahi, Uska Skhti Se Palan Bhi karna Hoga. Or Iske Liye Sarkaar Ko Kada Rookh Ikhtiyaar Karna Padega.

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  3. आपने सही सवाल उठाया है दी...
    स्त्रियों पर ही गलत होने का लाँझन लगता वो सही होकर भी गलत है...पता नहीं परिस्थितियां कब बदलेगी..जब भारत कि बेटी अपने ही देश में निडर होकर रह सके...

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  4. वेदना है हर नारी की, जो आपने बयां की। पर सच में रेवा जी गलत हम ही ठहरा दिये जाते हैं...

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