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Friday, January 3, 2014

समय

ह्रदय और मन की
ये कैसी है संधि  ,
दोनों ने आपस मे 
कर ली है जुगलबंदी ,
समझ ने भी ऐलान 
कर दी है बंदी ,
आँखों ने ठान लिया है 
देगा उनका साथ ,
एहसासों ने भी 
मिलाया इनसे हाँथ ,
कोशिशे हो रही नाकाम 
लगता नहीं ये काम है आसान ,
मन तो होता रहेगा अधीर 
पर मुझे भी धरना होगा धीर ,
हालात कभी नहीं होते एक से 
हर समय होता है अस्थायी ,
बस यही बात अब 
मन मे आयी। 


रेवा 

10 comments:

  1. वाह ! बहुत सुंदर !

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  2. बहुत सही बात हालात और समय हमेशा एक से नहीं रहते..
    बहुत ही सुन्दर भाव अभिव्यक्ति...
    :-)

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  3. बहुत सुन्दर भाव

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  4. ये हुई न बात समझदारो वाली
    हार्दिक शुभकामनायें

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  5. बेहतरीन अभिवयक्ति.....

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  6. aap sabka bahut bahut shukriya.....nav varsh mangalmay ho

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  7. .बेहतरीन भाव संयोजन।

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