बहुत कोशिश की
तुझसे दुरी बनाने की
लेकिन हर कोशिश
नाकाम रही ,
लाख चाहा एक
औपचारिक रिश्ता
कायम करूँ ,
पर जब भी तुम्हारी आवाज़ सुनी
सारे प्रयास बेमानी
लगने लगे ,
पता नहीं तुम्हारी
सखशियत ऐसी है
या तुम्हारा प्यार ऐसा है ?
शायद जब प्यार करना
अपने वश मे नहीं होता ,
तो दूर जाना भी
मुमकिन नहीं होता।
रेवा
सही कहा आपने प्यार अपने वश में नहीं होता तो दूर जाना भी नहीं
ReplyDeleteकोमल, मधुर एवँ पीड़ा के अहसास से सिक्त सुंदर रचना !
ReplyDeleteसुन्दर कविता |
ReplyDeleteBahut sundar ehsaason se bharpoor kavita....jai ho
ReplyDeleteजहान प्यार हो वहाँ दूओरी कहाँ रह पाती है ... भाव पूर्ण ...
ReplyDeleteGod Bless U
ReplyDeleteshukriya
ReplyDeleterajendra ji abhar
ReplyDeleteduri tan se ho to ho lekin man se koi dur kaise jaye , bahut sundar
ReplyDeletekalam ka jadu aur aapke shbd dono sundar ban padhe hai rewa ji
ReplyDeleteVery nice,
ReplyDeletevinnie
खूबसूरत अहसास
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