Pages

Thursday, January 16, 2014

कोशिश




बहुत कोशिश की
तुझसे दुरी बनाने की
लेकिन हर कोशिश
नाकाम रही ,
लाख चाहा एक
औपचारिक रिश्ता
कायम करूँ  ,
पर जब भी तुम्हारी आवाज़ सुनी
सारे प्रयास बेमानी
लगने लगे ,
पता नहीं तुम्हारी
सखशियत ऐसी है
या तुम्हारा प्यार ऐसा है ?
शायद जब प्यार करना
अपने वश मे नहीं होता ,
तो दूर जाना भी
मुमकिन नहीं होता।

रेवा


12 comments:

  1. सही कहा आपने प्यार अपने वश में नहीं होता तो दूर जाना भी नहीं

    ReplyDelete
  2. कोमल, मधुर एवँ पीड़ा के अहसास से सिक्त सुंदर रचना !

    ReplyDelete
  3. Bahut sundar ehsaason se bharpoor kavita....jai ho

    ReplyDelete
  4. जहान प्यार हो वहाँ दूओरी कहाँ रह पाती है ... भाव पूर्ण ...

    ReplyDelete
  5. duri tan se ho to ho lekin man se koi dur kaise jaye , bahut sundar

    ReplyDelete
  6. kalam ka jadu aur aapke shbd dono sundar ban padhe hai rewa ji

    ReplyDelete