प्यार शब्द खुद मे इतना प्यारा है की इसे किसी परिभाषा की ज़रूरत नहीं ……ये एक एहसास है जो बस महसूस किया जा सकता है,पर इसके साथ ये भी सच है की प्यार की बड़ी बड़ी बातें सभी लोग कर लेते है……पर सच्चा प्यार बहुत कम लोगों के नसीब मे होता है……ये भी माना के प्यार दर्द भी देता है पर अगर ये सच्चा है तो संतुष्टि भी देता है…ऐसा प्यार हमे प्रभु के और करीब ले जाता है …ये मेरी भावनाएं और एहसास , इन्हीं को शब्द देने की कोशिश है मेरी …....
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Friday, April 24, 2015
सिर्फ तुम
रात की खामोशियों मे
चाँद की करवटों मे
चादर की सलवटों मे
मन की कसमसाहट मे
तकिये के गीले गिलाफ मे
दर्द भरे इस दिल मे
तुम सिर्फ तुम ही तो हो
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (25-04-2015) को "आदमी को हवस ही खाने लगी" (चर्चा अंक-1956) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
Bahut khoob Rewaji
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (25-04-2015) को "आदमी को हवस ही खाने लगी" (चर्चा अंक-1956) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
शुक्रिया मयंक जी
Deleteसुंदर भावपूर्ण रचना ....बधाई
ReplyDeleteशुक्रिया मोहन जी
Deleteगागर में सागर
ReplyDeleteshukriya onkar ji
Deleteबहुत खूब, बहुत ही सुंदर कविता।
ReplyDeleteबहुत खूब ... उनसे आगे और उनसे बाहर कुछ हो दिखाई दे ...
ReplyDeleteप्रेम के आगे कुछ नहीं ...
Behad Sundar rachna hai. Badhai
ReplyDeleteShukriya shiv raj ji
Deletebahut khoob.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रेवा जी |
ReplyDeletebeautiful poem.....keep it up Rewa
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