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Friday, August 11, 2017

बंटवारा

चलो न आज
मुहब्बत बाँट ले
हम दोनों .....
प्यार तुम्हारे नाम
और तन्हाई 
मेरे नाम कर दें ....
जानती हूँ
नहीं सह सकते तुम
बेरुखी ....
नहीं बहा
सकते आँसू ....
रत जगे
नही होते तुमसे .....    
बिस्तर की सलवटों में
नहीं ढूंढ पाते मेरा अक्स
इसलिए
प्यार तुम्हारे नाम
तन्हाई मेरे नाम ......

रेवा

9 comments:

  1. बहुत सुन्दर ! आभार ''एकलव्य"

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  2. सुन्दर अभिव्यक्ति रेवा जी

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  3. सुन्दर रचना

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  4. सुन्दर शब्दों का कमाल जनमाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    1. शुक्रिया संजय ,तुम्हे भी ढेरों शुभकामनाएं

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