चलो न आज
मुहब्बत बाँट ले
हम दोनों .....
प्यार तुम्हारे नाम
और तन्हाई
मेरे नाम कर दें ....
जानती हूँ
नहीं सह सकते तुम
बेरुखी ....
नहीं बहा
सकते आँसू ....
रत जगे
नही होते तुमसे .....
बिस्तर की सलवटों में
नहीं ढूंढ पाते मेरा अक्स
इसलिए
प्यार तुम्हारे नाम
तन्हाई मेरे नाम ......
मुहब्बत बाँट ले
हम दोनों .....
प्यार तुम्हारे नाम
और तन्हाई
मेरे नाम कर दें ....
जानती हूँ
नहीं सह सकते तुम
बेरुखी ....
नहीं बहा
सकते आँसू ....
रत जगे
नही होते तुमसे .....
बिस्तर की सलवटों में
नहीं ढूंढ पाते मेरा अक्स
इसलिए
प्यार तुम्हारे नाम
तन्हाई मेरे नाम ......
रेवा
बहुत सुन्दर ! आभार ''एकलव्य"
ReplyDeleteshukriya Dhruv ji
Deleteabhar mayank ji
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति रेवा जी
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteशुक्रिया onkar जी
Deleteसुन्दर शब्दों का कमाल जनमाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteशुक्रिया संजय ,तुम्हे भी ढेरों शुभकामनाएं
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