बेताहाशा आ रही है...
ऐसा लगता है मानो
दिल में कई
खिड़कियाँ हों
जो एक साथ
खुल गयी है ...
और इन
खिड़कियों से बस
तेरी यादों की
भीनी-भीनी
खुशबू आ रही है,
जानती हूँ
तुम मुझसे मीलों दूर हो
पर मुझे इस बात का
ज़रा भी गम नहीं की
तुम मेरे साथ नहीं,
बल्कि ये यादें मुझे
सुकून और तुम्हारे प्यार से
ओत-प्रोत कर रही हैं
शायद
इसे ही कहते हैं
इश्क!
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteshukriya onkar ji
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल jbfवार (27-08-2017) को "सच्चा सौदा कि झूठा सौदा" (चर्चा अंक 2709) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
abhar mayank ji
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 27 अगस्त 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteshukriya digvijay ji
Deleteआदरणीया रेवा जी आपकी 'कृति' सराहनीय है ,सुन्दर शुभकामनाओं सहित ,आभार ''एकलव्य"
ReplyDeletedhurv ji shukriya
Deleteकितनी साफगोई से लिखा है आपने प्यार. सुंदर कविता
ReplyDeleteshukriya Aparna ji
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति। इश्क़ के अंदाज़ अब बदल रहे हैं जिसमें तकनीक ने भी क़माल किया है। बधाई।
ReplyDeletesach kaha.....shukriya
Deleteबहुत ही सुन्दर....
ReplyDeleteshukriya sudha ji
Delete