मैंने अभी कुछ दिनों से फेसबुक से थोड़ी सी दूरी बना ली है ......फेसबुक भी मुझे न्यूज़ चैनल्स की तरह अनर्गल विलाप करता सा प्रतीत होता है , कभी सरकार की बुराई कभी डेरा सच्चा की, कभी दूसरे बाबाओ की, कभी आतंकवाद की।
सार्थक पहल या बहस हम नहीं करते, जो हो गया उसको जानने के लिए समाचार ,अखबार तो है ही फिर यहाँ भी वही ? हम क्यों नहीं कुछ उपाय सुझाते हैं, या ऐसी कुछ बात जिससे हमारे आने वाले जनरेशन जो की भविष्य हैं हमारे देश के, उनको कुछ तो मिले हमसे।
उदहारण के लिए हम अपने पर्यावरण पर बात कर सकते हैं जो आज एक बड़ा विषय है, जिसकी शुरुआत हम अपने घर से ही कर सकते हैं, बहुत व्यापक रूप की जरुरत नहीं। मसलन जिनके यहाँ भी RO से पानी शुद्ध होता है उससे जो (waste water ) निकलता है और पानी बर्बाद होता है उसे कैसे काम में लाये , हम सब सब्जी लाने जाते हैं हर अलग सब्जी अलग पैकेट में लेते हैं उस प्लास्टिक पैकेट को कैसे खुद "न " बोले, एक झोले में डलवायें और दूसरों को भी समझाए। एक घर से शुरू करें सब को बताए, वो एक मोहल्ले में फैलेगा ऐसे ही ये शहर और देश में फैलेगा, कुछ और विषय में ऐसे ही सार्थक क़दमों की बात करें।
जहाँ तक मेरा सवाल है मैंने अपनी तरफ से शुरू की है RO और प्लास्टिक पैकेट को लेकर मेरे आस - पास के लोगों से बातें। ये इसलिए यहाँ mention किया ताकि लोगों को ये न लगे ये बेकार की बक -बक कर रही है ,खुद कुछ करे तो पता चले ।
हममे से हर एक अलग अलग ग्रुप से जुड़ा है सब में ये सार्थक चर्चा हो तो हम कुछ शुरुआत कर सकते हैं। सरकार ,न्यूज़ चैनल्स और लोगों को दोष देकर कर कुछ हासिल नहीं होने वाला।
ये मेरी सोच है ,मैंने रख दी सबके सामने।
शुक्रिया
रेवा
सार्थक पहल या बहस हम नहीं करते, जो हो गया उसको जानने के लिए समाचार ,अखबार तो है ही फिर यहाँ भी वही ? हम क्यों नहीं कुछ उपाय सुझाते हैं, या ऐसी कुछ बात जिससे हमारे आने वाले जनरेशन जो की भविष्य हैं हमारे देश के, उनको कुछ तो मिले हमसे।
उदहारण के लिए हम अपने पर्यावरण पर बात कर सकते हैं जो आज एक बड़ा विषय है, जिसकी शुरुआत हम अपने घर से ही कर सकते हैं, बहुत व्यापक रूप की जरुरत नहीं। मसलन जिनके यहाँ भी RO से पानी शुद्ध होता है उससे जो (waste water ) निकलता है और पानी बर्बाद होता है उसे कैसे काम में लाये , हम सब सब्जी लाने जाते हैं हर अलग सब्जी अलग पैकेट में लेते हैं उस प्लास्टिक पैकेट को कैसे खुद "न " बोले, एक झोले में डलवायें और दूसरों को भी समझाए। एक घर से शुरू करें सब को बताए, वो एक मोहल्ले में फैलेगा ऐसे ही ये शहर और देश में फैलेगा, कुछ और विषय में ऐसे ही सार्थक क़दमों की बात करें।
जहाँ तक मेरा सवाल है मैंने अपनी तरफ से शुरू की है RO और प्लास्टिक पैकेट को लेकर मेरे आस - पास के लोगों से बातें। ये इसलिए यहाँ mention किया ताकि लोगों को ये न लगे ये बेकार की बक -बक कर रही है ,खुद कुछ करे तो पता चले ।
ये मेरी सोच है ,मैंने रख दी सबके सामने।
शुक्रिया
रेवा
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (19-09-2017) को सुबह से ही मगर घरपर, बड़ी सी भीड़ है घेरी-चर्चामंच 2732 पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
shukriya mayank ji
Deleteसार्थक सोच
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteरेवा जी आपने जैसे मेरे दिल की बात लिख दी सच है हमें आदत पद गयी सांप निकले के बाद लकीर पिटते रहने की | आपकी तरह मैं भी ro से होने वाले पानी की बर्वादी से बहुत चिंतित हूँ और चाहती हूँ इसके प्रति ro कम्पनी को भी सोचना चाहिए मैं स्वयं इस दिशा में जितना हो सकता काम करने का प्रयास करती हूँ उस पानी को इकट्ठा करके गमले में डालती हूँ बर्तन धोने के काम में लेती हूँ |
ReplyDeleteसच कहा आपने....मैं घर पोछने में और बर्तन मे काम मे लाती हूँ
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