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Sunday, February 18, 2018

खेल

एक पिंजरे से निकाल
कर दूसरे पिंजरे में
कैद करने के लिए ही तो
आज़ाद किया जाता है
पंछियों को,

उन्हें गर खुला छोड़
दिया तो डर है कहीं
आज़ाद हो वो
अपनी मनमानी न
करने लग जायें,

अपने मन से खुले
आकाश में विचरने
न लग जायें ....
अरे पिंजरे में रहेंगी
तभी तो वो अपने
स्वामी के भरोसे
जीयेंगी
वो देंगे तो खायेंगी
नहीं तो भूखे ही रहेंगी

उनका जब मन किया
उन्हें पिंजरे से निकाल
खेलेंगे
और फिर पिंजरे में 
कैद कर देंगे

ये क्रम सालों चलता 
रहता है 
लेकिन सालों ऐसे
रहते रहते
वो अपनी उड़ान ही
भूल जातीं हैं
और यही तो सारा खेल है .....

रेवा

Monday, February 12, 2018

औरत



क्या औरत
मर्द का तराशा हुआ
बुत है ?
जिसे वो तराशता है
चमकाता है
अपनी मर्ज़ी से
नुमाइश करता है
और फिर जब
मन भर जाये तो तोड़
देता है .......


न बिलकुल नहीं
न हम बुत हैं न मूरत
न बलिदान की देवी
न ही हम
सुपर वुमन बनने की
रेस में शामिल हैं ,
हम सोचने, समझने
हँसने और बोलने वाली
बेबाक औरतें हैं ....


रेवा

Wednesday, February 7, 2018

कुरुक्षेत्र

हर कोई
सुकून की तलाश में
भटक रहा है
कोई घर में तो कोई
बाहर सुकून तलाशता है
किसी का अपने से युद्ध है
तो किसी का अपनों से ,
कोई नाम के पीछे पागल है
कोई पैसों के पीछे
कोई अहम में रहता है
तो कोई वहम में
कोई गैरों में अपनों को
ढूंढ लेता है
तो कोई अपनों को
गैर बना देता है
कोई सिर्फ दिखावे से प्यार करता है
और कोई अपने ज़मीर से
पर ये तो सच है
हर एक इंसान
इस जीवन के कुरुक्षेत्र में
युद्धरत है !!


रेवा

Saturday, February 3, 2018

डर




मन में एक अजीब सी 
हलचल 
रस्सा कसी मची हुई है
कभी अजीब सा
अनदेखा अनजाना डर
कभी बेहिसाब प्यार
इतना की तुम्हें
आंखों से ओझल ही
न होने दूं
जानती नहीं ऐसा क्यों है ??
पर लगता है
तुमसे दूर जाने का डर
तुम्हें खोने का डर हावी
हो रहा है
हर जीवन साथी की तरह
हमने भी साथ लम्बा
सफ़र तय करने की
कसम खायी है
पर अगर बीच रास्ते
किसी ने धोखा दे दिया तो
या अपना रास्ता बदल
लिया तो क्या ??
जवाब तो नहीं किसी
के पास भी इन सवालों का
बस एक विश्वाश की डोर
जरूर है
जो होती तो मज़बूत है
पर कभी कभी
कुछ हादसे कमज़ोर
बना देते हैं !!

रेवा