बचपन में
देखा था बड़े
गौर से गिरगिट को
रंग बदलते हुए
अचरज तो हुआ था
पर बहुत खुश भी हुई थी
ऐसा कुछ देखते हुए
अब बड़े गौर से
देखती हूँ
मनुष्यों को रंग
बदलते हुए
कितानी जल्दी
इतने तरह के
रंग बदल लेते हैं
माशाल्लाह
पर खुशी बिल्कुल
नहीं होती
एक बात बताओ ज़रा
इतने गिरगिटिया कैसे
हो लेते हो !!!
रेवा
सही कहा
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteलाजवाब
ReplyDeleteशुक्रिया सदा जी
Deleteअब गिरगिट कहाँ रंग बदलते हैं, ये काम तो उन्होंने इंसानों के हवाले कर दिया है
ReplyDeleteबहुत सही
जी सही कहा.....शुक्रिया
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ReplyDeleteसुंदर रचना रेवा जी अब गिरगिट खुद अचंभित हैं इंसानों को रंग बदलते देख बेहतरीन 👌👌
ReplyDeleteसच कहा आपने ......शुक्रिया
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