पर जब हमने
इंसान बन कर
जन्म लिया है तो फिर
सोचना, समझना
हर परिस्थिति का
सामना करना
इन सब से तो हमारी
पक्की यारी होनी ही है
सोचना, समझना
हर परिस्थिति का
सामना करना
इन सब से तो हमारी
पक्की यारी होनी ही है
खुशी देने के लिए ही तो
बनाया है न ईश्वर ने
चाँद तारे
फूल ओस
तितली पंछी
बरसात हवा
इन्हें महसूस करो
और मस्ती से भर जाओ
चाँद तारे
फूल ओस
तितली पंछी
बरसात हवा
इन्हें महसूस करो
और मस्ती से भर जाओ
तो चलो
उदासी को समेट कर
रख दो ऐसी जगह
जहां से वो दिखे ही न
और आंसुओं को
खुशी से वाश्प
बना उड़ा दो
और लग जाओ
जीवन को जीने में
उदासी को समेट कर
रख दो ऐसी जगह
जहां से वो दिखे ही न
और आंसुओं को
खुशी से वाश्प
बना उड़ा दो
और लग जाओ
जीवन को जीने में
#रेवा
#जीवन
वआआह...
ReplyDeleteबेहतरीन
सादर
शुक्रिया
Deleteबहुत ही सुंदर और प्रेरक रचना। उदास क्यूँ होना ....
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना।
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-08-2018) को "आया फिर से रक्षा-बंधन" (चर्चा अंक-3075) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
रक्षाबन्धन की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार
Deleteबेहतरीन सीख
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 28/08/2018
को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
बहुत सुंदर संदेशात्मक कविता रेवा जी।
ReplyDeleteज़िंदगी के कुछ सबक हम सीख ले तो जीने में कितनी सहूलियत हो जाएगी न।
वाह!!बहुत खूब!!
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