पर बहुत कुछ
छोड़ गए हो
जाते-जाते
कल जब तुमने सवाल किया
मेरे बिना अकेलापन सालता होगा न ??
तो मैंने कुछ नहीं कहा
कैसे कह देती मैं अकेली हूँ....
तुमने
कमरे के हर कोने मे
कल जब तुमने सवाल किया
मेरे बिना अकेलापन सालता होगा न ??
तो मैंने कुछ नहीं कहा
कैसे कह देती मैं अकेली हूँ....
तुमने
कमरे के हर कोने मे
अपना प्यार .....
चाय के कप मे
चाय के कप मे
अपनी गर्माहट .......
आईने मे
आईने मे
अपना अक्स ......
कपड़ों मे
कपड़ों मे
अपनी खुश्बू और.......
मेरे कन्धों पर
मेरे कन्धों पर
अपने तमाम एहसास......
सब तो मेरे पास ही छोड़ दिया
अब कहो तो
सब तो मेरे पास ही छोड़ दिया
अब कहो तो
मैं अकेली कहाँ हूँ. .........
#रेवा
#रेवा
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteशुक्रिया onkar जी
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 05 अगस्त 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआभार digvijay जी
Deleteअकेले में साथ निरंतर बना रहता है यही तो प्यार है, फिर भी दूरियां अखरती तो हैं ही ...........
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना
जी सही कहा ....शुक्रिया
Deleteआप इतना संजीदा लिखते हो कि बार बार पढ़ने का मन करता है ....
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको
आपका आभार संजय जी
Deleteआभार मयंक जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteshukriya anuradha ji
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteshukriya sushil ji
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