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Saturday, August 4, 2018

परदेस







चले तो गए हो तुम परदेस
पर बहुत कुछ
छोड़ गए हो
जाते-जाते


कल जब तुमने सवाल किया

मेरे बिना अकेलापन सालता होगा न ??

तो मैंने कुछ नहीं कहा

कैसे कह देती मैं अकेली हूँ....




तुमने

कमरे के हर कोने मे
अपना प्यार .....


चाय के कप मे
अपनी गर्माहट .......


आईने मे
अपना अक्स ......


कपड़ों मे
अपनी खुश्बू और.......


मेरे कन्धों पर
अपने तमाम एहसास......


सब तो मेरे पास ही छोड़ दिया

अब कहो तो
मैं अकेली कहाँ हूँ. .........





#रेवा

13 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 05 अगस्त 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. अकेले में साथ निरंतर बना रहता है यही तो प्यार है, फिर भी दूरियां अखरती तो हैं ही ...........
    बहुत अच्छी रचना

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    1. जी सही कहा ....शुक्रिया

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  4. Sanjay Sachdeva LucknowAugust 4, 2018 at 7:11 PM

    आप इतना संजीदा लिखते हो कि बार बार पढ़ने का मन करता है ....

    शुभकामनायें आपको

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