Pages

Sunday, August 5, 2018

दोस्ती



छोड़ आईं हूँ मैं 
ख़ुद को
उन यादों की
गलियों में ,
जब सालों बाद
बचपन के दोस्तों
से हुई मुलाकात ,
इतनी खुशी
इतनी रौनक मन में
और किसी लम्हे में
नहीं हुई

चेहरा खुद ब खुद
खिल उठा
पैर नाचने को
थिरकने लगे
दिल फिर क्लास की
शरारतों जैसा हो गया
जो तब नहीं बोली थी 
हमने बातें
वो बता कर खूब हँस लिए
वो समय तो अब बीत गया
पर एक एक पल
याद है मुझे
उन्हें याद कर
बार बार ज़िन्दगी से
प्यार हो जाता है
बार बार विश्वास पर
विश्वास हो जाता है 
क्योंकि दोस्ती है तो 
विश्वास है। 

#रेवा
#दोस्ती

8 comments: