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Sunday, September 2, 2018

पूर्ण और अपूर्ण


इस दुनिया में
ढूंढ़ने .. निकली तो 
पाया हर चीज़ अपूर्ण है
पूर्ण कुछ भी नहीं...

प्रेम कभी तृप्त नहीं होता
अतृप्त ही रहता है
ज्यादा कि मांग
कभी खत्म नहीं होती ,
न ही विरह
उसमें सदा
मिलन की आस होती है ,

साधक की साधना भी
अपूर्ण है
वो जीवन से दूर भागता है ,
प्रकृति भी पूर्ण नहीं तभी तो
कृत्रिम चीजों का
सहारा लेते हैं हम,

फूल उनकी
कोमलता और सुगंध
क्षणिक है ,
कोयल का संगीत
कलरव है
भाषा न होने के कारण
भावहीन संगीत जैसा,

कपोत कितने
अच्छे लगते हैं न
पर ये और अन्य पक्षी
भोजन के लिए
झगड़ते हैं
यहां तक कि
एक दूजे को खा
लेते हैं और
बड़े पक्षियों से
सदा डरे हुए से रहते हैं,
पूर्णता की तलाश
कभी पूरी नहीं होती 

अपनी परिस्थितियों के
अनुसार जीवन निर्वाह
करना ही ज़िन्दगी है
तो बस जीवन जीयो
पूर्ण होने की लालसा के बिना ....

चित्रलेखा पढ़ते हुए मिले ज्ञान के आधार पर

#रेवा
#चित्रलेखा

14 comments:

  1. नश्वर संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है
    बहुत अच्छी रचना

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  2. "पूर्णता की तलाश
    कभी पूरी नहीं होती"
    बहुत खूब....,

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  3. बहुत खूब सुंदर रचना 👌

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, नए दौर की गुलामी “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. जन्माष्टमी की शुभकामनाएं

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