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Wednesday, October 10, 2018

अधूरापन


एक अधूरापन सा 
सदा रहता है दरम्यान.....
चुभती हैं वो सारी बातें 
जो मैंने चाहा पर 
तुम समझ नहीं पाए .....

बस जरुरत की
हर चीज़ देते गए
ये न सोचा की
दिल जरुरत से नहीं
प्यार से भरता है ....


मकां तो दिया
रहने को
पर दिल खाली कर दिया ......


ऐसा नहीं की इन बातों से
मुझे अब फर्क नहीं पड़ता
पर कब तक सिसकती
सुलगती रहूँ
इसलिए
दफ़न कर दिया है इनको
मन की चारदीवारी में
और ऊपर से मुस्कान
बिछा दी है
ताकि कोई
झांक कर पता न कर पाए की
मैं अधूरी हूँ या पूरी.....


रेवा 

7 comments:

  1. वाह वाह सुंदर लेखन और अधिकांश स्त्री जीवन का सत्य

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  2. बहुत सुंदर रचना 👌

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  3. This comment has been removed by the author.

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  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11.10.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3121 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  5. वाह अनुपम
    पोंछ कर अश्क अब मुस्कुराती हूं मैं
    छाले दिल के न किसीको दिखाती हूं मै।

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