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Monday, October 8, 2018

ये धरती


ये धरती 
चीख चीख कर
कहती है
मत काटो गला
पेड़ पौधों का
उनको बढ़ने दो
उनके हरे पत्तों को
धूप में चमकने और
बरसात में नहाने दो

अपने कंक्रीट में
थोड़ी सी जगह
इन्हें भी दो
ताकि ये अपनी
जवानी और बुढ़ापा
जी सके
ये ही तुम्हें
साँस लेने लायक
रखते हैं
तुम्हारा पेट भरते हैं

अपने दिमाग का
इस तरह इस्तेमाल
न करो की एक दिन
प्यास हो पर पानी नहीं
भूख हो पर अनाज नहीं
फेफड़े हों पर ऑक्सिजन नहीं
अपने बच्चों के लिए
कुछ छोड़ कर जाना हो तो
प्रकृति का उपहार दे कर जाओ

#रेवा
#प्रकृति

6 comments:

  1. जाने कब चेतेंगे हम !
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  2. प्रकृति से खिलवाड का दण्ड भोग रहा है मानव
    फिर भी अपने कृत्यों से बाज नहीं आ रहा?
    सुंदर रचना

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/10/2018 की बुलेटिन, अकेलापन दूर करने का उपाय “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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