हम भी मिले थे अचानक
दूसरे प्रेमियों की तरह ही
प्यार तो नहीं था तब
दोस्ती भी नहीं थी
पर कुछ तो था...
प्यार तो नहीं था तब
दोस्ती भी नहीं थी
पर कुछ तो था...
धीरे-धीरे समय के साथ
एहसास हुआ की
ये पक्का दोस्ती तो नहीं
पर जो है उसे अपने
पास फटकने देने
ये पक्का दोस्ती तो नहीं
पर जो है उसे अपने
पास फटकने देने
से भी गुरेज़ है ...
लेकिन अगर अपने ही बस में
हो हर एहसास तो फिर
ग़म ही न हो ....
तुम भी वहीं महसूस
कर रहे थे जो मैं कर रही थी
ये जानती थी
पर हम आँख मिचौली
खेलने लगे एक दुजे के साथ
कर रहे थे जो मैं कर रही थी
ये जानती थी
पर हम आँख मिचौली
खेलने लगे एक दुजे के साथ
लेकिन आखिर धप्पा
हो ही गया और तब
तुमने मुझे सदा प्यार करने की
पर दूर चले जाने की कसम
ले ली
तुमने मुझे सदा प्यार करने की
पर दूर चले जाने की कसम
ले ली
जैसे कह रहे हो
"सदियों का वादा तो किया है
और सदियों की रिहाई भी दे रहा हूँ "
#रेवा
#वादा
ReplyDeleteजैसे कह रहे हो
"सदियों का वादा तो किया है
और सदियों की रिहाई भी दे रहा हूँ "
बबहु ही सुंदर रचना
शुक्रिया
Deleteबहुत पढें टंकण में गलती हुई
ReplyDeleteजी
Deleteशुरुवात मोहब्बत की हो जाती है और फिर इंतजार के साथ बेकरारी आती ही है.. इस स्तिथि को अच्छे शब्द मिल गये
ReplyDeleteनाफ़ प्याला याद आता है क्यों? (गजल 5)
बहुत शुक्रिया
Deleteआभार
ReplyDelete