आज एक अजीब
सपना देखा ,
देखा की मैं एक
बहुत छोटी जगह
बंद हो गयी हूँ
सब मुझे ढूंढ
रहे हैं
जबकि
मैं उन्ही के बीच हूँ
उन्हें बार बार
आवाज़ दे रही हूँ
दरवाज़ा खट खटा
रही हूँ
पर कोई सुन ही
नहीं रहा ,
इतने में वहां
एक अजनबी आया
उसने देखा और
दरवाज़ा खोल दिया
जानते हो इस सपने
का संकेत ,
दरवाज़े के पीछे बन्द
मेरा दिल था और
दरवाज़ा खोलने वाले
अजनबी थे "तुम "
#रेवा
#तुम
#तुम
जानते हो इस सपने
ReplyDeleteका संकेत ,
दरवाज़े के पीछे बन्द
मेरा दिल था और
दरवाज़ा खोलने वाले
अजनबी थे "तुम "
बहुत सुंदर रचना
बहुत शुक्रिया
Deleteसुंदर रचना..
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन देश की दूसरी महिला प्रशासनिक अधिकारी को नमन : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteछायावादी शैली की ये रचना बेहद उम्दा.
ReplyDeleteशुक्रिया
Delete