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Saturday, December 22, 2018

रेखा



जब पहली बार
थामा था तुमने मेरा हाथ
हम दोनों कि रेखाओं की
भी हुई थी वो पहली मुलाकात

उस दिन से आज तक
रोज़ जब जब वो मिलते हैं
वो एकाकार होते जाते हैं

जब जीवन के डगर में
आते है टेढ़े मेढ़े रास्ते
और हम दोनों विश्वास से भरपूर
थामते हैं एक दूजे का हाथ
तब और मजबूत हो जाता है
इन रेखाओं का साथ

अब तो ये है हाल
पता ही नहीं चलता कौन सी
रेखा किसकी है
दोनों मिल कर
अब एक समान लकीर
जो बन गयी है

मेरी है बस इक आस
ऐसे ही बना रहे इन
रेखाओं के साथ

#रेवा

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